सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
शिमला, 21 सितंबर
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की 220वीं जयंती के अवसर पर आर्य समाज लोअर बाजार शिमला के 142वें वार्षिक उत्सव और आर्य वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के वार्षिक समारोह के अवसर पर आयोजित भव्य शोभायात्रा को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध वैदिक विद्वान पंडित सुखलाल ने कहा कि आर्य समाज ने समाज सुधार के क्षेत्र में अनेक आंदोलनों को जन्म दिया।
स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। यह चिंतन स्वामी दयानंद की देन है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलना का सूत्रपात किया और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए लाला लाजपत राय, सरदार भगत सिंह, स्वामी श्रद्धानंद और अन्य आर्य जनों ने शहादतें दीं।
सुखपाल जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी आर्य समाज का बहुत योगदान रहा है ।गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार, डीएवी आंदोलन, तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं का संचालन आर्य समाज की विशेष उपलब्धियां रही हैं।
पंडित सुखपाल ने यह भी कहा कि वर्तमान में समाज में विसंगतियां, जातिवाद और अल्पसंख्यकों का संतुष्टीकरण तथा भारत विरोधी ताकतों का संघर्ष और अन्य सामाजिक तथा राष्ट्रीय चुनौतियां सामने आ रही हैं, उन चुनौतियों का समाधान वेदों की शिक्षाओं के अनुकूल किया जाना संभव है।
वर्तमान में समाज में जो परस्पर विरोध की घटनाएं हो रही हैं उनके समाधान के लिए आर्य समाज की विचारधारा आज भी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है।
इस अवसर पर शोभा यात्रा से पूर्व आर्य समाज के प्रांगण में झंडा फहराते हुए आर्य समाज के मंत्री श्री हृदयेश आर्य ने कहा कि आर्य समाज अपनी परंपरा को निभाते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है और यह परंपरा हमेशा कायम रहेगी।
इस नगर कीर्तन में आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला और सनातन धर्म विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ चढ कर भाग लिया।