चौहार घाटी की परिक्रमा पर निकले देवता पशाकोट, लोगों में देवी- देवताओं के प्रति अथाह आस्था

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

चौहार घाटी और छोटाभगाल घाटी देवी-देवताओं की घाटी है। यहां के लोगों की अपने देवी-देवताओं के प्रति अथाह भावना व पूर्ण आस्था है। आराध्य देवी – देवता के मंदिर में आकर लोग अपने दु:खों का निवारण प्रार्थना करते हैं बल्कि यहा के देवी – देवता नियमानुसार तीन से पांच वर्ष बाद अपने – अपने क्षेत्र की नामित परिक्रमा के दौरान गाँव – गाँव जाकर दीन – दुखियों का दु:ख दर्द सांझा कर स्वयं ही उनके दु:खों का निवारण भी करते हैं।

सदियों से चली आ रही परम्परा को कायम रखते हुए घाटी में स्थित देव गहरी तथा देव पशाकोट हर तीन वर्ष बाद तथा घाटी के अन्य देवादि देव हुरंग नारायण हर पांच वर्ष बाद अपने – अपने क्षेत्र की परिक्रमा करते हैं। जिसके चलते इस बार भी घाटी के मठी वजगाण में मूल स्थल में स्थित वर्षा के देवता माने जाने वाले तथा पहाड़ी वजीर के नाम से आराध्य देवादि देव पशाकोट अपने पूरे लावलशकर तथा अपने देवलुओं सहित उनके अधीन आने वाले क्षेत्र की परिक्रमा करने के लिए निकले हुए हैं।

जानकारी के अनुसार देव पशाकोट गत माह मंघर पूर्णिमा को अपने मूल स्थल मठी वजगाण से निकल कर क्षेत्र की परिक्रमा के लिए निकले हुए हैं। अपने मूलस्थल से निकलकर सबसे पहले अपने मूलस्थल के पास वाले थल्टूखोड़ क्षेत्र के थल्टूखोड़, मढ़ ग्रामण, पंजौंड,गाहंग, सचाण, भूमच्याण, लटराण, तरस्वाण, धमच्याण, गुराहला, शिंगधार आदि गाँवों का दौरा करते हुए घाटी के दूसरे छोर टिक्कन, सुराण, मठियाना, रणगाण, सचाण, वरधान, लचकंडी, लच्छयाण, वोचिंग, लपास, गुराहला, ढरांगण तथा सोमवार के दिन मनन्त पूरी होने पर तरवाण गाँव के कन्हैया लाल द्वारा देवादि देव पशाकोट के नाम आयोजित देव जातर को स्वीकारते हुए दूसरे गाँव कल्होग गाँवरात्रि ठहराव कर मंगलवार को सुबह दूसरे गाँव जमटेहड़ आदि गाँवों का दौरा करने के उपरांत घाटी के निचले क्षेत्र के बदन गाँव से होते हुए रात्रि ठहराव हराबाग करेंगे।

उसके बाद, गलू, जोगिन्द्र नगर, चौंतड़ा, घटासनी, उरला, पद्धर आदि क्षेत्र के गाँवों में जाकर स्थानीय लोगों द्वारा अपनी मन्नते पूर्ण हो जाने के चलते आयोजित देव जातर को स्वीकारते हुए देवादि देव पशाकोट सभी गाँववासियों को सुख- समृद्धि का संदेश भी देंगे। जिसके चलते देवादि देव पशाकोट लगभग तीन माह बाद पूरे विधिविधान के साथ अपने मुलस्थल मठी वजगाण में पुनः विराजमान हो जाएंगे।देव पशाकोट इस परिक्रमा के दौरान जिस भी गाँव में जा रहे हैं वहां लोगों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया जा रहा हैं। वहीँ गांववासियों द्वारा जोरदार स्वागत किया जा रहा है तथा स्थानीय लोगों द्वारा अपनी श्रद्धानुसार देव पशाकोट को हलवा, रोट, धूप, चादर तथा पैसों का चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है। देव पशाकोट की परिक्रमा के चलते समूची चौहार घाटी देव पशाकोट के जय – जयकारे से गूंज रहा है।

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