सुरभि न्यूज़, जोगिंदर नगर : हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार पर प्रदेश भर में भारी बरसात के चलते आई आपदा के प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाया है। हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने कहा कि बादल फटने, भारी बारिश, बाढ़, जमीन धंसने और भूस्खलन से प्रदेश भर में और विशेषकर मंडी जिला में जान माल का भारी नुक्सान हुआ है। प्रदेश में पिछले चार साल में हर बरसात में हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है तथा न केवल निजी रिहायशी मकान, दुकान, ढाबे, गौशालाएं, घराट, कूहलें, आंगन, खेत व बागीचे तबाह हुए हैं। सैंकड़ों इंसानी मौतें हुई हैं, हजारों पालतू पशु मारे गए हैं, लाखों पेड़ गिरे हैं, बल्कि सड़कें, पुल, शिक्षण संस्थान व अन्य सरकारी भवन, डंगे, पेयजल योजनाएं, सिंचाई योजनाएं, जल आपूर्ति की पाइपें, बिजली के खंभे व लाइनें आदि तबाह हुए हैं। ऐसे में इस भयंकर आपदा से उबरने में केंद्र सरकार को हिमाचल प्रदेश को उदार आर्थिक सहायता करनी चाहिए थी, लेकिन मोदी सरकार ने हिमाचल प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए कोई स्पेशल सहायता आज तक नहीं की है। केंद्र सरकार तालिबानी अफगानी सरकार को तो मदद भेजती है, लेकिन हिमाचल प्रदेश की आपदा प्रभावित जनता के लिए केंद्र सरकार फूटी कौड़ी देना भी उचित नहीं समझती है।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विशेष राहत पैकेज की घोषणा तो की है, जिसमें हर क्षतिग्रस्त मकान का 7 लाख रु, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकान के लिए एक लाख रु, मकान में नष्ट सामान का 70 हज़ार रु, गौशाला के क्षतिग्रस्त होने पर 50 हजार रु, दुधारू पशु के मारने पर 55 हजार रु, भेड़ बकरी की मृत्यु का 9 हजार रु, खेती व बागवानी की क्षति पर प्रति बीघा 10 हजार रु, जमीन से मलबा हटाने का 6 हजार रु, नष्ट फसल का 3 हजार रु तथा किराए के मकान हेतु प्रति परिवार हर महीने 5 हज़ार रु देने की घोषणा तो की है, लेकिन इस घोषणा पर अमल नहीं किया जा रहा है। अधिकाँश प्रभावितों को अभी भी मुआवजे की राशि प्राप्त नहीं हुई है. केवल कुछ लोगों को ही फौरी राहत के रूप में कुछ सहायता प्राप्त हुई है।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रभावित परिवारों की मांगों को लेकर 5 नवंबर को सुबह 11 बजे मंडी के विश्वकर्मा हॉल में राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें हर प्रभावित परिवार से न्यूनतम एक सदस्य शामिल होने आ रहे हैं। इस अधिवेशन में लगभग 600 आपदा प्रभावित हिस्सा लेंगे तथा सरकार की घोषणाओं पर अमल करवाने के लिए कार्यनीति बनायेंगे ताकि पुनर्निर्माण व पुनर्वास कार्य शुरू हो सकें।
उन्होंने कहा कि सितम्बर माह में प्रदेश के अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रदेश को 1500 करोड़ रु की सहायता प्रदान करने की घोषणा पर भी केंद्र सरकार ने कोई अमल नहीं किया है। आपदा से निपटने के लिए नियमित रूप से राज्यों को दी जाने वाली राशि के अलावा केंद्र सरकार कोई भी विशेष राहत पैकेज के रूप में आर्थिक सहायता प्रदेश को नहीं दे रही है। किसान सभा की मांग है कि प्रदेश की इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर न्यूनतम 5 हजार करोड़ रु.की विशेष आर्थिक सहायता प्रदेश को दी जाए। इसके साथ ही आपदा प्रभावित लोगों को जमीन के बदले जमीन देने के लिए वन सरंक्षण क़ानून 1980 में संशोधन करने की मांग की है। किसान सभा ने सभी आपदा प्रभावित परिवारों से इस अधिवेशन में भाग लेने का आह्वान किया है ताकि राहत व पुनर्वास शुरू हो सके।











