बिलासपुर में साहित्यकारो और कवियों ने आयोजित की संक्षिप्त गोष्ठी, साहित्यकार आशा शैली व कवयित्री अंजना छलोत्रे सवि रहीं उपस्थित 

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सुरभि न्यूज़

विजयराज उपाध्याय, बिलासपुर

बिलासपुर हिमाचल प्रदेश का दिल कहा जाता है और यहां पर कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई भी हैं और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है यह बात भोपाल मध्य प्रदेश से पधारी अपने हिमाचल भ्रमण के दौरान पधारी साहित्यकार, समाजसेवी, कवयित्री अंजना छलोत्रे सवि ने कही।

जिला भाषा अधिकारी कार्यालय के बैठक कक्ष में उन्होंने बिलासपुर के प्रमुख साहित्यकारों कवियों और पत्रकारों से वार्तालाप किया। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी भी उपस्थित रहीं।अंजना ने बताया कि उनका सारा साहित्य हिंदी में प्रकाशित हुआ है लेकिन उनके पुत्र ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं और उनकी पुत्रवधू के सारे संबंधी ऑस्ट्रेलिया के हैं जिन्होंने इस साहित्य को अंग्रेजी में प्रकाशित करने का आग्रह किया है ताकि वह भी इसे पढ़ सके इसलिए इन दिनों इसका अनुवाद करने का कार्य चल रहा है।

उनके साथ उतराखंड की वरिष्ठ साहित्यकार आशा शैली भी उपस्थित रहीं। जिन्होंने हिमाचल के बारे में कई प्रकार की जानकारी साहित्यकारों और पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि इन दिनों वह प्रकाशन का कार्य भी कर रही है और अगर लेखक पुस्तक प्रकाशित करवाना चाहें तो वह उन्हें सहयोग कर सकती हैं तथा प्रकाशको की लूट से बचा सकती है। क्योंकि वह खुद साहित्यकार रही है और प्रकाशन का उनका लंबा अनुभव है।

इस अवसर पर एक संक्षिप्त गोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें सभी ने अपनी अपनी रचनाएं सुनाई। आशा शैली ने अपनी ग़ज़ल में कहा करके वादा मुकर गया साहिब वह जमाने से डर गया साहिब उसके कूचे में हवा है शायद मैं झुक कर समझ गया साहिब जबकि अंजना छलोत्रे ने तरन्नुम में गजल उड़े भी कैसे वह आकाश में किसी ने पंख परिंदों के नोच डाले हैंसुरमई आंख झुकाने की जरूरत क्या है सोए जज्बात जगाने की जरूरत क्या है हर एक से आप ने जो वादे किए टूट गए एक झलक दिखाने की जरूरत क्या है सुनकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। साहित्यकार रतन चंद निर्झर ने आज बरसाती धूप में मां खोलेगी पेटी ट्रंक निकालेगी सिले सिले दुपट्टे और सूट कविता सुनाकार सोचने पर मजबूर कर दिया जबकि पत्रकार और साहित्यकार कुलदीप चंदेल ने कहा झील में डूबे शहर में माना घर छोटे थे गोबर मिट्टी से लीपे जाते थे बीते कल के ऐतीहासिक पलों को ताजा कर दियासाहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कविता विश्वास की बानगी देखिए विश्वास जिसे नैतिकता आपसी रिश्तो की बुनियाद समझा जाता था कलयुग में आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है आपसी टूटते रिश्तों पर चिंता जाहिर की जबकि साहित्यकार पत्रकार अरुण डोगरा ने अपनी कविता बहू बेटी है पास व्यंग्य सुनाकर भावविभोर किया।

अंजना छलोत्रे ने बताया कि वह इन दिनों एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। जिनमें उन साहित्यकारों के साक्षात्कार किए जा रहे हैं जो साहित्यकार समाज को साहित्य का आईना समझकर समाज से जुड़े किरदारों को अपनी लेखनी के माध्यम से कविता और कहानियों में सजीव कर चुके है। जो साहित्यकार सत्तर साल के बाद स्वयं कितने एकाकी और उपेक्षित हो जाते हैं।

इस कड़ी में देश भर के वरिष्ठ साहित्यकारों से मुलाकात कर उनके जीवन में आए ठहराव और पारिवारिक एवं सामाजिक उपेक्षा को लेकर उनसे बात की जा रही है।

बिलासपुर में उन्होंने पंडित जयकुमार, कुलदीप चंदेल, सुशील पुंडीर, रतन चंद निर्झर तथा प्रदीप गुप्ता से बात की। पंडित जयकुमार से मुलाकात कर सत्तर पार की जिंदगी के अनुभवों का साझा किया।

अंजना छलोत्रे ने बताया कि ऐसे ही भोपाल के एक बुजूर्ग साहित्यकार से मुलाकात कर उन्हें यह आईडिया आया है कि क्यों न देश भर के वरिष्ठ साहित्यकारों से बात कर उनका हालचाल जाना जाए। जिसे यूटयूब के अलावा पुस्तक रूप में प्रकाशित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि जैसे ही उनके पास 21 साहित्यकारों के अनुभव एकत्रित हो जाएंगे। उसे पुस्तक रूप में प्रकाशित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका यह भी प्रयास रहेगा कि सभी साहित्यकार हमारे माध्यम से एक दूसरे के संपर्क में रहें, एक दूसरे के साथ बातचीत करें। एक दूसरे की रचनाओं को पढ़े ताकि उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अकेलेपन का आभास न हो।

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