जिला मंडी के चौहार घाटी की खलैहल पंचायत मे भी है पवित्र पुराना डैहनसर झील

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सुरभि न्यूज़ 

खुशी राम ठाकुर, बरोट

चौहार घाटी में रह रही आज की पीढ़ी इस पवित्र स्थल को भले नहीं जानती है परन्तु भेड पालक तथा हमारे बुजूर्ग इस पवित्र स्थान में जाते रहते थे। आजतक इस पवित्र स्थल में 20 भादों को लोग स्नान के लिए नहीं जाते हैं मगर बुजुर्गाे की माने तो सदियों पूर्व से इस पवित्र स्थल को पुराना डैहन सर के नाम से जाना जाता है। लोग यहां स्नान के लिए जाते थे। लोग आज भी इस पवित्र स्थान को पुराना डैहन सर के नाम से जानते है। यह जिला मंडी की चौहार घाटी की ग्राम पंचायत खलैहल के गांव बड़ी झरवाड़ तथा बरोट पंचायत के कथयाडू गाँव के साथ लगती पहाड़ी सुरजपुर गढ़ (सराडुग) नामक स्थान पर स्थित है। यह पुराना डैहनसर लगभग 7 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस पवित्र सर पर पहुँच कर जिला मंडी के जोगिन्द्र नगर तथा जिला कांगड़ा का सुंदर नजारा निहारा जा सकता है। गाँव के बुजूर्ग ड़ागू राम, मोहन सिंह, रागी राम, गोबिंद राम, भेरू राम तथा कथयाडू गाँव के शिवभक्त तेजमल का कहना है कि इस पवित्र स्थल में बनी पवित्र सर (झील) में सदियों पूर्व से 20 भादों को हज़ारों की संख्या में पवित्र स्नान करने जाया करते थे। लोगों का कहना है कि इस पवित्र सर में 20 भादों के स्नान के समय एक महिला ने इसे अपवित्र कर दिया, जिस कारण इस सर का पानी सुख कर एक छोटे से दायरे में रह गया। उसके बाद इस पवित्र सर के पानी ने भयंकर सांप का रूप धारण कर चौहार घाटी से होते हुए छोटाभंगाल घाटी तथा कुल्लू जिला की लगघाटी के बीच 18 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित पवित्र स्थान पर अपना निवास कर लिया और वहां पर पानी का रूप धारण कर लिया जो कि आजकल यह डैहनसर झील के नाम से दूर-दूर तक अपनी ख्याति अर्जित कर रहा है। बेशक अपवित्र होने के बाद इस पवित्र सर में कोई भी स्नान करने नहीं जाते हैं, मगर स्थानीय लोग खाकर बुजूर्ग लोग इस पवित्र सर को पुराना डैहन सर के नाम से ही जानते हैं। इस पवीत्र सर के कुछ ही दूरी पर राजाओं के समय का एक सुंदर व ऊंचे स्थान पर सूरजगढ़ नामक एक गढ़ विराजमान है जो कि अब खडंहर बन गया है। इस सर से महज़ ही लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हेडगियर नाम का स्थान है। यहां पर अंग्रेजों के समय शानन पावर प्रोजेक्ट के लिए बनाई गई विद्युत संचालित रोप वे है। यही से रोप वे के माध्यम से वंचकैंप, 18 नंबर, शानन पावर हाउस होकर जोगिन्द्र नगर तथा कथयाडू, जीरो पवांईट होकर बरोट जाया जा सकता है। लोगों का कहना है कि सि सर में पूरे विधिविधान के साथ अगर घाटी के समस्त लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जाए तो इस सर में फिर से पानी पूरी तरह भर सकता है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान बहुत ही खूबशुरत है। इस स्थान को पर्यनटन के तौर पर विकसित किया जा सकता हैं। यहां पर ओर भी प्राकृतिक सौदंर्य से भरपुर स्थल है जिससे यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। खलैहल तथा बरोट पंचायत के लोगों ने पंचायत प्रतिनीधियों तथा स्थानीय प्रशासन से मांग कि है कि यह जगह पर्यटन के लिए भी बहुत ही उपयुक्त है इसलिए इसे विकसित करना बेहद जरूरी है।

 

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