सुरभि न्यूज़
खुशी राम ठाकुर, बरोट
इसे कुदरत का कहर समझे या फिर सब्जी उत्पादकों की बदकिस्मत, यह कहना इसलिए उचित है कि इस वर्ष किसानों की गत माह हुई भारी बारिश के चलते बंद गोभी की नगदी फसल काफी प्रभावित हो गई है।
घाटी के सब्जी उत्पादक नगदी फसलों की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करते आ रहे हैं। मगर इस वर्ष गत माह हुई प्रलयकारी बारिश ने उनकी खासकर बंद गोभी, आलू तथा राजमाह की फसलों को पूरी तरह प्रभावित कर उनकी कमर ही तोड़ दी है।
गौरतलव है की आजकल सब्जियों की बिक्री करने का कार्य जोरों से चलता था मगर इस वर्ष कुछ ही किसान अपने इधर–उधर के खेतों से इकत्रित कर बंद गोभी की फसल को निकालकर बिक्री कर रहे हैं।
यहाँ के किसानों में कशमीर सिंह, त्वारू राम, अमरनाथ, बलदेव, चौधरी, राज कुमार, सुंदर सिंह, प्रेम सिंह, सुख राम, रामलाल तथा गुलाब सिंह का कहना है कि हर सब्जी उत्पादक अपने खेतों में दिनभर पसीना बहाकर कड़ी मेहनत करता है ताकि उनकी फसलों की अच्छी पैदावार हो जाए, लेकिन उसके बावजूद भी फसल अच्छी न निकले तो सब्जी उत्पादकों को अपने परिवार के भरण पोषण तथा भविष्य की चिंता अंदर ही अंदर खूब सताने लगती है।
मगर इस वर्ष भारी बारिश से सब्जी उत्पादकों के खेतों में पत्ते पीले पड़ने से पौधों का बढ़ना ही रुक गया और पौधे मुरझा कर सूखते चले गए जिससे सब्जी उत्पादक काफी हताश व निराश हो गए। किसानों का खेती-बाड़ी ही जीवन यापन करने का एक मात्र जरिया है।
मगर इस बार उनके खेतों में सब्जी उत्पादन बहुत कम हुआ जिस कारण उन्हें दो वक्त की रोटी के लाले पड़ जाएंगे। प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि खेतीबाड़ी पर ही निर्भर सब्जी उत्पादकों व किसानों को उनकी प्रभावित हुई नगदी फसलों का आकलन कर उचित मुआवजा दिया जाए।










