सुरभि न्यूज़
खुशी राम ठाकुर, बरोट
बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों की शिक्षा का ज्ञान होना अति आवश्यक है। बच्चों की शिक्षा चाहे जितनी भी उच्चस्तर की क्यों न हो मगर उनके अंदर अगर अच्छे संस्कारों की शिक्षा का कोई भी ज्ञान नहीं है तो उसकी शिक्षा का ज्ञान होना किसी काम का नहीं है।
या यूं कहे की अच्छे संस्कारों के बिना बच्चों की शिक्षा बिल्कुल अधूरी है। बरोट में मीडिया से चौहार घाटी के समाज सेवक व पूर्व सूबेदार रामसरन चौहान ने कहा कि आज के इस आधुनिक दौर में सभी पाठशालाओं में शिक्षा के साथ संस्कारों से भरे विषयों को पढ़ाना अति अनिवार्य हो गया है।
आज बच्चों को अच्छी गुणवता वाली शिक्षा को प्रदान करने की ओर ध्यान तो दिया जा रहा है मगर बच्चों को अच्छे संस्कारी बनाने के लिए बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है।
रामसरन चौहान ने बताया कि सरकारें जहां बेरोज़गारी को समाप्त करने के लिए बच्चों की शिक्षा पर बल देकर बेहद सराहनीय कार्य कर रही है मगर उतनी ही संस्कारों भरी शिक्षा आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि पाठशाला एक ऐसा परिसर है जहां हर कोई बच्चा कई चीजों को सिखाता है इसलिए प्राथमिकता पाठशालाओं से लेकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने तक बच्चों को शिक्षा के साथ- साथ संस्कारी विषयों को पढ़ाकर बच्चों को अच्छे संस्कारी भी बनाया जाए।