देवता देव गहरी पूरे 36 दिनों तक देवलुओं के साथ भ्रमण करके अपने मूल स्थल गलू में हुए विराजमान

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

चौहार घाटी के कूटगढ़ तथा देवगढ़ क्षेत्र के समस्त लोगों की अटूट आस्था के प्रतीक घाटी की लपास पंचायत में अपने मूल स्थल गलू गाँव में स्थित देव गहरी पूरे 36 दिनों तक सभी गाँवों का पूरे लाव लशकर तथा देवलुओं के साथ भ्रमण कर अपने मूल स्थल गलू में पूरे विधि विधान के साथ फिर से विराजमान हो गए हैं।

देव गहरी के गुर गोपाल सिंह, पुजारी अमर सिंह तथा दुमच हरि सिंह ने सयुंक्त ब्यान में बताया कि लगभग एक माह पूर्व देव गहरी लपास पंचायत के गलू गाँव में स्थित अपने मूल स्थल गलू से लाव लशकर के साथ कूटगढ़ व देवगढ़ क्षेत्र का भ्रमण करने के लिए निकले हुए थे। इस दौरान देव गहरी ने लपस, बरोट, वरधान, धमच्याण, लटरांण तथा तरस्वाण पंचायतों के गाँव – गाँव जाकर गाँव वासियों द्वारा आयोजित देव जातरों को स्वीकारा तथा लोगों को सुख शान्ति का आशिर्बाद भी दिया।

अपने आराध्य देव गहरी का गाँव – गाँव पहुंचने पर देव संस्कृति को कायम रखते हुए महिलाओं व पुरुषों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। उसके उपरांत देव गहरी अपने मूल स्थल गलू में पूरे विधिविधान के साथ फिर से विराजमान हो गए हैं। गौरतलव है की चौहार घाटी में स्थित देव गहरी कूटगढ़ तथा देवगढ़ क्षेत्र तथा घाटीवासियों की अटूट आस्था के प्रतीक पशाकोट हर पांच साल बाद तथा देवादि देव हुरंग नारायण हर तीन साल बाद चौहार घाटी तथा अपने अपने अंतर्गत आने वाले निचले क्षेत्रों का भ्रमण करते हैं।

इन तीनों आराध्य देवताओं के प्रति चौहार घाटी, साथ लगती छोटाभंगाल घाटी सहित निचले क्षेत्रों के लोगों की अटूट आस्था है।

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