मानसून मौसम में स्क्रब टाइफस, मलेरिया व डेंगू से रहें सावधान – डॉ. संजय गुप्ता

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो, जोगिंदर नगर 
बरसात के मौसम के दौरान मच्छरों तथा पिस्सुओं के काटने से मलेरिया, डेंगू व स्क्रब टाइफस जैसी बीमारियां होने का ज्यादा खतरा बना रहता है। ऐसे में इन बीमारियों से बचाव को लोग घर के चारों ओर घास, खरपतवार इत्यादि न उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें तथा गड्ढों इत्यादि में पानी को जमा न होने दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सकें।
खंड चिकित्साधिकारी पधर डॉ. संजय गुप्ता ने परामर्श जारी करते हुए आह्वान किया है कि बरसात में मलेरिया, डेंगू तथा स्क्रब टाइफस जैसी बीमारियों से बचाव को लोग विशेष एहतियात बरतें। इन बीमारियों से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखे तो तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जांच अवश्यक करवाएं।
उन्होंने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिल्ज नामक मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर खड़े पानी में अंडे देता है तथा इस मच्छर के काटने से मलेरिया होने का खतरा बना रहता है। उन्होने बताया कि व्यक्ति को मलेरिया होने पर ठंड लगकर बुखार आता है तथा समय पर मलेरिया का इलाज न हो तो यह कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है।
इसी तरह एडीज नाम मच्छर के काटने से डेंगू की बीमारी होती है। यह मच्छर साफ पानी में अंडे देता है तथा दिन के समय काटता है। डेंगू होने पर पीड़ित व्यक्ति को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द तथा आंतरिक रक्तस्राव होता है। डेंगू होने पर प्रभावित व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। समय पर डेंगू का ईलाज न हो तो यह भी जानलेवा साबित हो सकता है।
उन्होने बताया कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणु विशेष (रिकेटशिया) से संक्रमित पिस्सु (माइट) के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। शरीर को काटने पर यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है तथा स्क्रब टाइफस बुखार पैदा करता है जो जोड़ों में दर्द व कंपकंपी के साथ 104 या 105 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है। इसके अलावा शरीर में ऐंठन, अकडऩ या शरीर टूटा हुआ लगना स्क्रब टाइफस के लक्षणों में शामिल है।
स्क्रब टाइफस, डेंगू व मलेरिया के बचाव के लिए ये रखें सावधानियां
डॉ. संजय गुप्ता ने स्क्रब टाइफस, डेंंगू व मलेरिया से बचाव को कुछ एहतियात बरतने की भी सलाह दी है। लोग अपने घरों के आसपास समुचित साफ-सफाई बनाए रखें, घर के चारों ओर घास, खरपतवार इत्यादि न उगने दें, घर के अंदर कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करें, पानी को गड्ढ़ों इत्यादि में जमा न होने दें।
कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करती बार विशेष एहतियात बरतें ताकि बच्चों, पालतू जानवरों इत्यादि को कोई नुक्सान न हों। साथ ही लोग अपने बदन को ढक़ कर रखें तथा सप्ताह में कम से कम एक या दो बार कूलर, एसी तथा टंकी का पानी जरूर बदलें। इसके अलावा टूटे हुए बर्तन, पुराने टायर, टूटे हुए घड़े इत्यादि को घर में न रखें। मच्छरों से बचाव को मच्छरदानी का उपयोग करें तथा बुखार होने पर अपने रक्त की तुरन्त जांच करवाएं। उन्होने कहा कि यदि स्क्रब टाइफस, मलेरिया या डेंगू से जुडे कोई भी लक्षण व्यक्ति में दिखाई दे तो प्रभावित व्यक्ति को तुरन्त उपचार के लिए अस्पताल लेकर जाएं।

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