सुरभि न्यूज़
प्रताप अरनोट, सैंज
केंद्रीय प्राथमिक विद्यालय देहुरी को समाजसेवी एवं पूर्व सैनिक खेमचंद सोनी ने गोद लिया है उन्होंने कहा कि हम प्राथमिक विद्यालय दिहुरी को अग्रिम श्रेणी में लाने का भरसक प्रयास करेंगे जिसमें सभी के सहयोग की आवश्यकता रहेगी।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक स्तर को सुधारने के मकसद से राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विद्यालय द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन कार्यक्रम की शुरुआत की है।
इसके तहत प्रदेशवासियों को राजकीय पाठशालाओं को गोद लेने का अवसर प्रदान किया गया है। इससे वे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास कर अपना योगदान दे पाएंगे। सचिवालय और निदेशालय में सेवाएं दे रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी, उपनिदेशक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के समन्वयक, प्रधानाचार्य, राज्य शिक्षा परिषद अनुसंधान और प्रशिक्षण और हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अधिकारी भी एक-एक स्कूल गोद लेंगे और इसके प्रतिपालक (मेंटर) होंगे।
कार्यक्रम के तहत मेरा स्कूल-मेरा गौरव अभियान प्रदेशवासियों और संस्थाओं को अपनी पसंद का स्कूल गोद लेने को प्रेरित करेगा। इन स्कूलों में वे छात्रों को सामाजिक सहायता कार्यों से जोडऩे और उनके लिए कैरियर परामर्श, विभिन्न परीक्षाओं के लिए अतिरिक्त या विशेष कक्षाएं लेने, योग प्रशिक्षण सहित विभिन्न स्तर पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकेंगे।
सरकारी स्कूलों के लिए शैक्षिक सहायता टीम और गैर-शैक्षिक सहायता टीम स्थापित की जाएंगी। यह टीम भावी पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव स्थापित करने में बिना किसी वित्तीय या अन्य लाभ के सरकार का सहयोग करेगी।
सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारियों, पेशेवरों, गृहणियों और समाज के अन्य व्यक्तियों को इन टीमों से जुडऩे के लिए प्रेरित किया जाएगा। शैक्षिक सहायता टीम में शामिल लोग पाठशालाओं में शिक्षकों की कमी या अध्यापकों के अवकाश पर होने के चलते छात्रों को पढ़ाएंगे। समाज के समावेशी विकास में मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
छात्रों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए मजबूत शैक्षणिक अधोसंरचना का निर्माण भी बेहद आवश्यक है पूर्व सैनिक खेमचंद सोनी ने देहूरी स्कूहल को गोद लेकर इसके संरक्षण और संवर्धन का जिम्मा उठाकर समाज में एक नई मिसाल पेश की है।