सुरभि न्यूज़,
उदयपुर (लाहौल एवं स्पीति)
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के क्षेत्रीय औद्यानिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण स्टेशन, बजौरा द्वारा पंचायत भवन, उदयपुर (लाहौल एवं स्पीति) में किसान मेले का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य लाहौल क्षेत्र के किसानों में सेब की नवीनतम उत्पादन तकनीकों को बढ़ावा देना था। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए 300 से अधिक किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
लाहौल एवं स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के प्रयासों की सराहना की, जो क्षेत्र के बागवानों को आधुनिक औद्यानिक तकनीकों के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे विभाग और विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करें तथा वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर अपनी कृषि आय में वृद्धि करें।
प्राकृतिक खेती के लाभों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने किसानों से इस पर्यावरण अनुकूल पद्धति को अपनाने और कृषि में रासायनिक आदानों पर निर्भरता कम करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों से किसानों को सेब के पेड़ों की ट्रेनिंग एवं प्रूनिंग संबंधी तकनीकी सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया।
क्षेत्रीय औद्यानिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण स्टेशन, बजौरा के सह निदेशक डॉ. बी.एस. ठाकुर ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और केंद्र की अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने किसानों को क्लोनल एवं सीडलिंग रूटस्टॉक पर सेब की खेती के अंतर के बारे में बताया और लाहौल क्षेत्र में क्लोनल रूटस्टॉक आधारित वैज्ञानिक सेब उत्पादन पद्धति अपनाने तथा कलर किस्मों के उपयोग से प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादकता बढ़ाने की सलाह दी।
उद्यान विभाग उपनिदेशक मीनाक्षी शर्मा ने विभाग की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी, जिसका लाभ किसान उठा सकते हैं। उन्होंने कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिससे फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
तकनीकी सत्र के दौरान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. जोगिंदर सिंह, डॉ. विजय भारद्वाज, डॉ. दिशा ठाकुर एवं डॉ. किशोर शर्मा ने क्षेत्र के अनुकूल टेम्परेट फलों की खेती एवं संरक्षण तकनीकों पर वैज्ञानिक जानकारी साझा की। किसानों को प्राकृतिक खेती विधियों और मूल्य संवर्धन के अवसरों के बारे में भी बताया गया।
इस अवसर पर स्थानीय बागवानों के सहयोग से क्षेत्र में उत्पादित फलों की विभिन्न किस्मों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। जिले की विभिन्न पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।