सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू
जै कारा वीर बजरंगी, हर हर हर महादेव’, ‘छत्रपति शिवाजी की जय’, बन्दे मातरम और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे कुल्लू के अटल सदन में बैठे दर्शकों ने लगाए। मौका था कुल्लू कार्निवाल में हो रही नाट्य प्रस्तुतियों में दूसरी प्रस्तुति जो भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के भारत की आज़ादी के संघर्ष को दिखाते नाटक ‘लोकमान्य तिलक’ के मंचन का जिसे स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएषन के कलाकारों द्वारा केहर सिंह ठाकुर के लेखन एवं निर्देशन में प्रस्तुत किया गया।
प्रस्तुत नाटक ‘लोकमान्य तिलक’ भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के भारत की आज़ादी के लिए किए गए संग्राम पर आधारित था। जिन्हें गांधी जी आधुनिक भारत का निर्माता, नैहरू जी भारत में दहाड़ने वाला शेर और अंग्रेज़ डर के मारे ‘मेन ऑफ इण्डियन अनरेस्ट’ कहते थे। अटल सभागार में दर्शक दीर्घा पूरी तरह से भरी थी और दर्शक खड़े भी थे। तिलक की भूमिका निभा रहे केहर के अभिनय का जादु कुछ इस तरह चला कि दर्शक उनके साथ तिलक के मुख से निकले ये नारे दोहराने लगे और तालियों की गड़गड़ाहट से स्वतन्त्रता के उस संघर्ष को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर भावुक मन से याद किया।
नाटक में दिखाया कि कैसे 1880 के दशक से अपने अखवारों व स्कूलों के माध्यम से तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर बाद में गरम दल के अग्रणी नेता के रूप में उभर कर स्वराज और बहिश्कार आन्दोलनों को भारत भर में फैलाते हुए भारत की आज़ादी के लिए ‘होम रूल लीग’ की स्थापना कर 1920 में संग्राम करते करते तिलक इस जग को विदा कह गए। उनकी दी शिक्षाएँ आज भी हमें नई दिशा देतीं हैं। नाटक में केहर के साथ साथ आरती ठाकुर, रेवत राम विक्की, देस राज, ममता, कल्पना, अनुरन्जनी, लक्ष्मी, प्रेरणा, सूरज तथा शयाम लाल आदि कलाकारों ने अपने अपने किरदारों को जीवन्त किया। वस्त्र एवं प्रकाश परिकल्पना मीनाक्षी की और पार्ष्व ध्वनि संचालन वैभव ठाकुर ने किया।