सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
कुल्लू
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला, भाषा एवं संस्कृति विभाग, कुल्लू हिमाचल प्रदेश व ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा संस्कार भारती हिमाचल प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में कलाकेन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे स्वतंत्रता सेनानियों पर आधारित चार दिवसीय नाट्योत्सव ‘रंग आज़ादी’ का ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू के कलाकारो ने केहर सिह ठाकुर द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक ‘लोकमान्य तिलक’ के भव्य मंचन के साथ नाट्योत्सव रंग आज़ादी समापन हुआ। नाटक में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के भारत की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को दिखाया गया। नाटक उनके 1880 से लेकर 1920 तक के संग्राम को प्रतिबिम्बित करता है। कैसे उन्होंने डैक्कन एजुकेशन सोसायटी के अंतरगत काॅलेज खोलने में योगदान दिया जिसमें वे चाहते थे कि शिक्षा भारत के आम जन तक भी पहुँचे। उसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में आए और वहाँ पर पूर्ण स्वराज के लिए मुहिम चलाई। फिर उससे भी संतुष्टि ना पाकर आम जन के साथ जुड़ने तथा पढ़ने लिखे एवं शासक वर्ग तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के उद्देश्य से दो पत्रिकाएँ ‘मराठा’ व ‘केसरी’ भी आरम्भ कीं। उन प्रत्रिकाओं में तिलक ने ज़ोरदार विरोध व आम जन को आंदोलित करने वाले लेख लिखते। इन्हीं लेखों के कारण उन्हें बार बार जेल की सज़ा हुई। उन्होंने आमजन से जुड़ने तथा उन तक राष्ट्रीयता का संदेश पहुँचाने के लिए गणपति महोत्सव, शिवाजी जयंति जैसे उत्सव और मुहल्ले-मुहल्ले में लाठी क्लबों और कुश्ती क्लबों का भी गठन किया। गरम दल के नेता के रूप में वे कैसे और किन परिस्थितियों में उभरे यह नाटक में परत दर परत दिखाया गया है। बंगाल विभाजन के वक्त किस तरह से बहिष्कार और स्वदेशी आन्दोलन में सक्रिय रहे और कैसे उन्होंने स्वदेशी प्रचारिणी सभा का गठन कर गांव गांव तक आम जन को आंदोलित किया। उसके बाद जब उन्हें छः बरस के कड़े कारावास से गुज़रना पड़ा तो उस समय में भी उनके रचनात्मक व्यक्तित्व ने ‘गीता रहस्य’ जैसे ग्रंथ को लिख डाला। फिर जेल से छूटकर ‘होमरूल लीग’ का भी गठन कर डाला। तिलक अपने अंत समय 1920 तक लड़ते ही रहे। मंच पर केहर सिंह ठाकुर, आरती ठाकुर, ममता, रेवत राम विक्की, देस राज, जीवानन्द, प्रेरणा, कल्पना गौतम, लक्ष्मी कष्यप, गुलशन नेगी, वेद प्रकाश एवं तमन्ना गौतम आदि कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया जबकि पाष्र्व ध्वनि संचालन वैभव ठाकुर ने और वस्त्र एवं आलोक परिकल्पना मीनाक्षी की रही।