समीक्षा-अब क्यों लौटेगी सुगन्धा ? : कहानी संग्रह

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सुरभि न्यूज़ डेस्क

रविकुमार संख्यान, घुमारवीं ज़िला बिलासपुर

समीक्षित कहानी संग्रह के 184 पृष्ठों में 47 कहानियों के माध्यम से लेखक ने कितने ही विचारों, बिम्बों, दृश्यों को एक साहित्यिक सतरंगी गुलदस्ते का नयनाभिराम चित्ताकर्षक रूप देने का काबिलेतारीफ़ प्रयास किया है।

रहस्य-रोमांच, कौतुहल, उत्सुकता, प्रेरणा, प्रेम, विरह-वेदना, चमत्कार, जिज्ञासा, रहस्योद्घाटन, विस्मय-आश्चर्य, मानवीय संवेदना, पश्चाताप आदि से सुशोभित इस कहानी संग्रह का नामकरण अब क्यों लौटेगी सुगन्धा ? बिल्कुल स्टीक बैठता है जिसमें आंखों की रोशनी खो देने के कारण पति द्वारा मायके की दहलीज़ पर नवजात शिशु संग सदा के लिए छोड़ी जा चुकी पत्नी का भूतकालिक वर्णन तथा कालखण्ड उपरांत भाई के नेत्रदान द्वारा पुनः खोयी हुई दृष्टि पाकर अथक परिश्रम से आई.ए.एस . परीक्षा में सफल होकर पुनः सफल गृहस्थी में कदम रखने के ठीक मौके पर हतप्रभ हारे खिलाड़ी जैसे हालत को प्राप्त पति के पश्चाताप को उकेरा गया है।

अमृत मालती कहानी में पुरातन वैघ परम्परा की दुर्लभ औषधियों का वर्णन है। मैं बेड़ी घाट बोल रहा हूँ  6में बेड़ीघाट की नजर से बिलासपुर ( कहलूर ) रियासत के प्रसिद्ध राजा विजयचन्द के समय भोले भाले मोहणा युवक को गुनाह कबूल कर लेने पर फांसी देने की ऐतिहासिक घटना की याद करते हुये वीरान पड़े घाट पर भी राजा के पधारने पर बेड़ीघाट के फूले नहीं समाने का वर्णन है।

पापा माफ़ करना व घोंसला परदेश में रच बस गयी संतानों के अभिभावकों की व्यथा पर आधारित है।
बाबा सर्वेश्वरानंद, तांत्रिक तिलक दास, अमृत-जल, श्मशान का श्राप में धार्मिक आस्था की आड़ में ठगी, स्वार्थसिद्धि, शीलभंग जैसे पथभ्रष्ट समाज के हथकंडों से बचकर मंजिल को पाने की सीख दी गयी है।

मेधावी जानकीदास कहानी में समृद्ध भारतीय संगीत के चमत्कारों से रूबरू कराने वाले दीपक राग, मेघ-मल्हार राग का वर्णन है।
नर्तकी व कथावाचक में स्वर, यौवन, सौन्दर्य, प्रतिभा, भक्ति के दुर्लभ संगम का अनूठा वर्णन है।
चूहा कहानी अबोध बालमन की शरारत से उपजी गलतफ़हमी के निराकरण की रोचक कहानी हैं।

एक और लक्ष्मीबाई कहानी में ग्रामीण महिला लक्ष्मीदेवी के निडर, निर्भीक स्वभाव का वर्णन है जो थपनी ( धोणा ) लेकर सत्याग्रहियों की रक्षा हेतु लठैतों से भिड़ गयी।

इसके अलावा टैक्स, राजा आनन्द चन्द का न्याय, मास्टर के घर चोरी, दार जी, चेहरा, परीक्षा आदि भी पाठकों को शुरू से अंत तक पढ़ने में रोचकता उत्पन्न करती है ।

भाषा, व्याकरण की दृष्टि से उचित, प्रूफ अशुद्धियों से रहित एवं रूपसज्जा को देखते हुये इसका मूल्य केवलमात्र तीन सौ रुपये उचित है।

समीक्षक को आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि साहित्य जगत में इसपुस्तक का स्वागत होगा और यह एक संग्रहणीय कृति के रूप में अपनी एक अलग ही पहचान बनाने में सफल होगी ।

गाँव मैहरी डा० नाल्टी तहसील घुमारवीं
ज़िला बिलासपुर ( हि.प्र ) पिन174026 सचलवार्ता -7018528863

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