सुरभि न्यूज़ डेस्क, कुल्लू
समीक्षक : रविकुमार साँख्यान मैहरी काथला ज़िला बिलासपुर ( हि.प्र . ) 9817404571
अपने जीवन के 47 वसन्त देख चुकी हिन्दी प्रवक्ता दीप्ति सारस्वत ‘ प्रतिमा ‘ का प्रथम कहानी संग्रह करीब पच्चीस वर्षों में लिखी कहानियों का लेखा-जोखा है। इससे पहले सोचती हूँ (2018) , चलती फिरती खिड़की ( 2019 ), धुंधली धूप ( 2020), प्रेम एक स्लेटी आसमान( 2022 ) नामक चार प्रकाशित कविता संग्रह पाठकों द्वारा काफी सराहे जा चुके हैं।
अपने पति डॉक्टर इन्द्र सूर्यान व सुपुत्र स्वप्निल सूर्यान बालमन को समर्पित समीक्षित कहानी संग्रह में 27 विभिन्न कथावस्तुओं, समसामायिक विषयों से भरपूर चित्ताकर्षक कहानी संग्रह की प्रस्तावना में कहानी संग्रह के प्रकाशन में एस.आर. हरनोट, सुदर्शन वशिष्ठ, अमरदेव अंगिरस, मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ . हेमराज कौशिक, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, कुलराजीव पंत, हरदीप सभरवाल, देवाशीष आर्य, राजेश कुमार चौहान, विद्या निधि, भारती कुठियाला, ओ .पी . कायस्थ तथा नीलम के अमूल्य सहयोग के लिए आभार प्रकट किया है।
इन कहानियाँ में प्रकृति चित्रण, आंचलिकता संग बालमन से लेकर वृद्वावस्था तक की मानवीय सोच, विकट समस्याओं क उनका समाधान खोजने का भी संदेश देते हुये कलम चलाने का समुचित प्रयास किया है। किसी भी कहानी को ज्यादा खींचने का प्रयास नहीं किया है।
कथानक के विस्तार द्वारा प्रतेक कहानी के पात्रों को जीवन्त करने का समुचित प्रयास किया है। पात्रों का भौगोलिक, सांस्कृतिक, भौतिक, मानसिक परिवेश पाठक को यह महसूस कराता है कि मानो यह उनकी ही आंचलिक पृष्ठभूमि से सम्बन्धित है।
संवाद छोटे, स्टीक, स्वाभाविक व उद्देश्यपूर्ण है कि मानो कहानीकार पृष्ठभूमि में पहुंचकर केवल पात्र ही पाठकों से मुखातिब हो रहे हों। कहानी संग्रह का शीर्षक इसी संग्रह में क्रम संख्या 17 पर प्रकाशित चर्चित कहानी प्याली भर जुगुप्सा रखना बिल्कुल स्टीक प्रतीत होता है।
आधुनिक वैज्ञानिक युग में शिक्षित समाज में भी मासिक धर्म जैसे प्राकृतिक ज्वलन्त विषयों पर भी जानते हुये भी रूढ़िवादी पीढ़ी दर पीढ़ी सोच के चक्रव्यूह में फंसी महिला आज भी मानसिक रूप से हीन भावना, कुंठा का शिकार होते हुये भी कितनी सहजता से अंधविश्वासी परम्परा को निभाती है।
ऐसे गंभीर विषयों पर रचनाकार समय समय पर पत्र-पत्रिकाओं में भी कलम चलाते रहते हैं तथा कुछ फिल्म / नाटक निर्देशक, एनजीओ . भी इस पर संज्ञान लेकर समाज में जागरूकता फैलाने का समुचित प्रयास कर रहे हैं।
उपरोक्त कहानी में कई दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में उन दिनों महिलाओं को घर के निचले हिस्से /जमीन पर / स्लीपिंग बैग में सोने का भी वर्णन है। पुराने समय में तो पशुशाला जैसे कमरे में भी सोने और यहाँ तक कि माँ द्वारा पर्स धोने की भी बात कही गई है। कहानी के अंत में ऐसी मान्यताओं के आज सामाजिक जागरूकता के कारण दिन-प्रतिदिन कमजोर पड़ने की भी आशा व्यक्त करके समाज को प्रेरणादायक संदेश देने का सफल प्रयास किया हैं।
कहानी संग्रह का श्रीगणेश करती गुलाबी फूल कहानी प्रकृति का चीरहरण करते मानव की मनसा के जानकार अड़िग गिरिराज व अनजान अबोध कोमल गुलाबी फूल को पाने को लालायित युगल दंपति का मुस्कुराकर स्वागत करते पल का वर्णन करके मानव के गिरगिटी रंग को आईना दिखाने का मनोहारी चित्रण किया है ।
लघुकथा में अधिकतर दुकानदारों द्वारा घटिया सामान ऊपर रखने की सामान्य नियमावली को दरकिनार करते हुये आलोक कुमार डेली नीड कार्नर के नियमों से विरोधाभास बताकर किसी को भी अंडरएस्टीमेट न आंकने की गहरी सीख दी है।
तन्हाई में अमीर व्यक्ति को सोशल मीडिया पर जीवन से दुःखी होकर इहलीला समाप्त करने को आतुर लाईव वीडियो शेयर करने से कुछ पल पहले आये विचारों के तीव्र परिवर्तन का अलौकिक चित्रण करके यह कड़वी सच्चाई दिखाने का सफल प्रयत्न किया है कि किसी के होने न होने से दुनिया की भागमभाग दौड़ में तनिक भी अल्पविराम नहीं आता है।
बचपना में एक युवती नयना द्वारा बालमन की यादों में खो जाने पर जूते पर नाम लिखने व अपरिचित सहयात्री द्वारा उसे नाम से पुकारने पर पहले घमंड दिखाते हुये बाद में सच्चाई पता चलने पर चेहरा छुपाने की नौबत आने का रोचक वर्णन किया है।
अप्रत्याशित घोर निराशा युवा मन के हास्य व्यंग्य व नोंक झोंक को लेकर बनाई गई है। ज़हर कहानी में शील भंग करने की कोशिश करते शराबी को नदी में धक्का देकर गिराने वाली वीरांगना युवती के पक्ष में समाज के खड़े होने की कहानी है । चूहा-बिल्ली प्राचीन जमींदारी प्रथा व गरीब लाचार मजदूरों के शोषण से प्रेरित है ।
तिनका – तिनका बिखरा नीड़ कोरोना कॉल में ऑनलाइन कक्षाएं लगाने के बहाने एंड्रॉइड फोन से बच्चों के मन मस्तिष्क में पढ़ाई कम व अवांछित ज्ञान के अधिक प्रवेश की आशंका से प्रेरित प्रतीत होती है ।
चुनाव व सच -भ्रम मानवीय संवेदनाओं के विघटन व रिश्तों में शक के नज़रिये को इंगित करती कहानियाँ है। किस्मत वाली व बिस्तर कहानियाँ गृहस्थ के दिवास्वप्नों के टूटने की पराकाष्ठा है। अस्मिता कहानी थर्ड जैंडर / विशेष आवश्यकताओं वाले मनुष्य की समस्याओं की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट करती है। लववाइट दो बहनों मौना और रीना की कहानी है जो एक घर में रहते हुये भी विचारों, अभिरुचियों में कोसों दूर हैं।
लाड़ला में बच्चों की शरारतों, कुसंगतियों पर पर्दा डालने वाले अभिभावकों को भविष्य में कुसंगतियों का परिणाम भुगतने को तैयार रहने की नैतिक सीख हैं।
कहानीकार की कथाशिल्प व अनूठे कथावस्तु के सामंजस्य को देखते हुये इसका मूल्य केवल मात्र एक सौ पचास रुपये ज्यादा नहीं है।आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि साहित्य जगत में इस पुस्तक का जोरदार स्वागत होगा।