सुरभि न्यूज़
सी आर शर्मा, आनी
आउटर सिराज के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदू नव वर्ष और बैसाख की मकर सक्रांति के पावन पर्व पर बुरांस के फूल से घर और मंदिरों को सजाकर हिंदू नव वर्ष नई रीत का स्वागत किया हैं। ग्रामीण हल्के में लोगों ने जंगली बुरांस के फूल को घर के मुख्य द्वार और घर के आंगन में बुरांस के फूल की माला बनाकर पूजा स्थल और अपने कुल्ज देवता को चढ़ाया। बता दें कि बैसाख मास की सक्रांति को बुरांस के फूल से सजावट की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिस परंपरा का आज भी लोग निर्वहन करते हैं। बजुर्गों का कहना है कि हिंदू नव वर्ष बैसाख पर्व पर फूल सदियों पहले नही होते थे और फूल खिलने का समय जेष्ठ महीने से शुरू होता है। बुरांस का फूल जनवरी माह के अंत तक जंगलों में खिलना शुरू हो जाता है। इसके विशिष्ट गुणों के चलते लोग इसकइसके खिलने का इंतजार करते हैं। बैसाख पर्व को लोग साल का जेष्ठ पर्व मानते हैं। मान्यता है कि सर्दियां बीत जाने के बाद बैसाख पर्व पर मेले और त्योहार को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इसमें मुख्य रूप से आउटर सिराज का सबसे बड़ा बैसाख पर्व ऐतिहासिक झीरू मेला बागा सराहन देवता” बूढ़ा सरौहणी” शाना ऋषि और मां ब्रह्मचूड़ी का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। स्थानीय निवासी अमर सिंह और पूजा ने बताया कि बुरांस के फूल और( जरी) को लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है जिसका लोग आज भी यहां के लोग बखूबी निर्वहन करते हैं और झीरु मेले को देखने लोग दूर दूर से झीरु मेले की झलक को देखने आते हैं। जहां आज भी पुराने रीति रिवाज के साथ निर्वाहन किया जाता है। बैसाख पर्व झीरू मेले और हिंदू नव वर्ष नई रीत का स्वागत करते हैं।