प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया जाएगा एससी-एसटी विकास निधि एक्ट बनाने का मुद्दा-अमर चन्द शलाठ

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सुरभि न्यूज़ 

परस राम भारती, मंडी 

हिमाचल प्रदेश कोली समाज पंजीकृत राज्य कार्यकारणी की बैठक रविवार को मण्डी स्थित साक्षरता एवं जन विकास समिती भवन सौलीखड में सम्पन्न हुई। कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष अमर चन्द शलाठ की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों, सदस्यों और सचिवों ने हिस्सा लिया।

हिमाचल प्रदेश कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष अमर चन्द शलाठ ने बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों का स्वागत एवं आभार प्रकट किया। इस बैठक में कोली समाज के मुख्य संरक्षक एवं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रोशन लाल डोगरा, प्रदेश महासचिव गोपाल झिलटा, कार्यकारी अध्यक्ष जगदीश सिंह, सह सचिव प्रभा शांडिल, जिला मण्डी के अध्यक्ष काहन सिंह चौहान, जिला सिरमौर के अध्यक्ष रतन कश्यप, जिला सोलन के अध्यक्ष राम नाथ कश्यप, जिला शिमला के अध्यक्ष रमेश पाल, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष काली दास कोली, जिला कुल्लू के अध्यक्ष डिणे राम आनन्द, वित सचिव नेत्र चौहान, उपाध्यक्ष संजय पुंडीर, बलवीर चौहान, मीर सुख, बलदेव शांडील, पंजाब सिंह और अजय पाल विशेष रूप से उपस्थित रहे।

प्रदेश कोली समाज के महासचिव गोपाल झिलटा द्वारा 17 मार्च 2024 को शिमला में आयोजित राज्य कार्यकरिणी बैठक कार्यवाही की जिलावार प्रगति रिर्पोट सदस्यों के समक्ष रखी गई। इसके उपरान्त बैठक में कोली समाज से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों पर सिलसिले वार चर्चा परिचर्चा और मंथन हुआ। इन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोली समाज का संगठन अपने स्वजातीय लोगों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान एवं मानवता की मदद के लिए हमेशा तत्पर है। कोली समुदाय के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर सक्षम बन रहे है।

प्रदेशाध्यक्ष अमर चन्द शलाठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के हर जिला और हर खण्ड में गांव स्तर तक कोली समाज के संगठन को मजबूत किया जाएगा। सब के सहयोग और मार्गदर्शन से ही कोली समुदाय संगठित होकर आगे बढ़ेगा। इन्होंने उपस्थित लोगों को पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से गुगल फॉर्म द्वारा ऑनलाइन सदस्यता ग्रहण करने की जानकारी भी प्रदान की। इन्होंने बताया कि समाज को संगठित करने के लिए टेक्नोलॉजी का भी सहारा लिया जा रहा है। सभी खण्डों की हर ग्राम पंचायत से कोली समुदाय की जनसंख्या के आंकड़े एकत्रित करके इसका ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया जाएगा। कोली समुदाय से संबंधित सभी गतिविधियां वेबसाईट पर अपलोड होगी। इन्होंने बताया कि संस्था में हुए प्रत्येक लेनदेन और लेखा जोखा पर पूर्णतया पारदर्शिता बनी रहेगी

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश कोली समाज की स्थापना वर्ष 1978 में जिला सोलन से तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी रहे कुनिहार निवासी स्वर्गीय नन्द लाल कौशल द्वारा की गई है। कोली समाज एक गैर राजनीतिक संगठन है जिसका कार्यक्षेत्र समस्त हिमाचल प्रदेश कोली समुदाय तक सीमित है और यह संगठन अखिल भारतीय कोली समाज से सम्बद्ध है, जिसका मुख्य उद्देश्य राजनीति से हटकर कोली समुदाय के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक उत्थान के साथ शिक्षा, मानवता, भाईचारा, पर्यावरण संरक्षण, जातीय समरसता एवं समानता कायम करना है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में से 6 जिलों क्रमशः कुल्लू, मण्डी, शिमला, सोलन, सिरमौर और कांगड़ा जिलों में सभी अनूसूचित जातियों में से कोली समुदाय की जनसंख्या सर्वाधिक है।

हिमाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा की आरक्षित सीटों पर कोली समाज निरन्तर प्रतिनिधित्व कर रहा है। वर्तमान में भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 17 आरक्षित सीटों में से 9 विधायक और लोकसभा की आरक्षित सीट से एक सांसद कोली समुदाय से ताल्लुक रखते है जो कि समाज के लिए एक गौरव की बात है। पूर्व में भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद का सम्बंध भी कोली समाज से है जो अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इससे अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा, हिमाचल प्रशासनिक सेवा, मेडिकल, साइंस, इंजीनियरिंग, अध्यापन, सेना, खेल, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी कोली समुदाय अग्रणी है।

इस बैठक के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में कोली समाज के बिखरे हुए कुनबे को गांव स्तर तक संगठित करने, लोगों को अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने, आने वाले बरसात के मौसम में हर जिला और खण्ड इकाईयों द्वारा पौधारोपण जैसे अनेकों मुद्दों पर गहन विचार विमर्श हुआ। इसके अलावा कोली समुदाय से संबंधित महापुरषों की जंयती और स्थापना दिवस मनाए जाने पर भी चर्चा हुई। शिमला जिला में कोली समाज के प्रस्तावित भवन निर्माण कार्य की प्रगति और कोली कल्याण बोर्ड के गठन जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा परिचर्चा हुई। अब सितम्बर माह में कोली समाज राज्य कार्यकरिणी की अगली त्रैमासिक बैठक जिला सिरमौर में आयोजित की जाएगी।

प्रदेशाध्यक्ष अमर चन्द शलाठ ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या करीब 33% है। सरकार द्वारा इतनी बड़ी आबादी के लिए महज 4% बजट का आवंटन किया जा रहा है, जिसे भी पूरी तरह से एससी एसटी समुदाय पर खर्च नहीं किया जा रहा बल्कि इसे अन्य कार्यों में डाइवर्ट किया जा रहा है। जो कि समाज के वंचित और पिछड़े लोगों के साथ सरासर अन्याय है। इन्होंने कहा कि प्रदेश में एससी एसटी वर्ग के लिए जनसंख्या के अनुपात में बजट का प्रावधान होना चाहिए।

अमर चन्द शलाठ ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थिति को देखते हुए अन्य राज्यों अर्थात तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान की तर्ज पर अनुसूचित जाति जनजाति विकास निधि विशेष कानून बनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि आवंटित बजट की 100% धनराशि इस वर्ग के विकास पर खर्च की जा सके। इन्होंने बताया कि इस मुद्दे की पैरवी के लिए हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति के सभी संगठनो ने एक सांझे मंच (स्टेट कोलेशन फॉर लेजिसलेशन ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब्स सब प्लान हिमाचल प्रदेश) का गठन किया है जो इस मुददे को प्रदेश सरकार के समक्ष जोर शोर से उठायेंगे।

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