छोटाभंगाल व चौहार घाटी के किसानों में जैविक खेती की तरफ बढते रूझान से सुधरेगी आर्थिक स्थिति 

Listen to this article

सुरभि न्यूज
खुशी राम ठाकुर, बरोट

छोटाभंगाल व चौहार घाटी के किसान आधुनिकता के इस दौर में जैविक खेती करना भूलते जा रहे हैं। यहां के कुछ एक किसान ही जैविक खेती से जुड़े हैं मगर वे भी नाममात्र की खेती ही करते हुए नज़र आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि जैविक खेती में मेहनत अधिक है और लाभ कम हो रहा है मगर कुछ किसानो के अब भी जैविक खेती की तरफ हौंसले बरकरार है। जैविक खेती से मिलते स्वास्थय लाभ के अलावा पुरानी परम्परा को जीवित रखने का किसानो ने प्रमुख कारण बताया है।

जैविक खेती करने वाले किसान अपने खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल करते है। खेतों की जोताई बैलों के साथ करने के साथ निराई गुडाई अपने हाथों से करके शुद्द ऑर्गेनिक मक्की, गेहूँ, काठू, भरेस, कोदरा और अन्य फसलों को तैयार करते हैं। यह किसान महज़ अपने स्वास्थय लिए ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। जैविक खेती करने वाले किसानों की कहना है कि पुरानी परम्परागत फसलों की लागत इतनी होती है कि उन्हें सामान्य दाम की तर्ज़ पर बेचा जाना संभव नहीं है। इसके चलते ऐसे किसान व्यवसाय की दृष्टि से इसकी पैदावार नहीं कर रहे हैं।

जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें जैविक कट मास्को का उपयोग किया जाता है। इसमें रसायनों की कोई जगह नहीं होती है। इस तरह की खेती में केवल जैविक तत्वों का ही इस्तेमाल होता है। जैविक खेती में जैविक खाद और जैविक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। इसमें रसायनों का किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस तरह की खेती में केवल जैविक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है जिसमें मिटटी के प्राकृतिक गुणों को बरकरार रखते हुए फसल की जाती है। कुछ किसानों का कहना है कि दोनों घाटियों के किसानों ने अपने घरों में बैलों को पालना बंद करके मात्र ट्रेक्टरों से हल जोताई का कार्य कर रहे हैं जो कि सही नहीं है। उनका कहना है कि बैलों के साथ जोताई व बिजाई करने से फसल बहुत ही अच्छी व अधिक होती है।

चौहार घाटी के किसान मान सिंह का कहना है कि वे हमेशा बैलों के साथ अपने खेतों में जैविक विधि से विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती आ रहे है। उनका कहना है कि उन्होंने आजतक अपने खेतों में अच्छी फसलों की पैदावार के लिए कभी भी किसी भी प्रकार की खाद व कीटनाशक दवाइयों का उपयोग ही नहीं किया हैं।

कृषि विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग द्वारा किसानों को पुरानी परम्परागत खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिसके चलते ऑर्गेनिक फार्मिंग के प्रति कई किसानों का रुझान देखा जा रहा है। जैविक खेती में परिश्रम भले ही अधिक करना पड़ता है मगर स्वास्थय के लिए सबसे अिधक लाभकारी है जिसे सामान्य से अधिक कीमत पर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध करवा जा सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *