रंगमंच गांव-ंगांव, आंगन-ंआंगन’ की अवधारणा के अन्तर्गत नाटक कहानियों की कहानी का शानदार किया मंचन

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सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू, 13 सितंबर

रंगमंच गांव-ंगांव, आंगन-ंआंगन’ की अवधारणा के अन्तरगत स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन ने संगीत नाटक अकादमी दिल्ली के सहयोग से जमोट गांव में नाटक ‘कहानियों की कहानी’ का शानदार मंचन किया। केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी के ‘बिस्मिल्लाह खां युवा सम्मान’ तथा ‘हिमाचल गौरव पुरस्कार’ से सम्मान से सम्मानित प्रसिद्ध रंगकर्मी के अभिनय तथा निर्देशन से सजे इस एकल नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया और साथ ही साथ हमारे आज के जीवन से जुड़े गम्भीर मामलों को भी अभिनय के माध्यम से उकेरा।

केहर के उन्दा तथा परिपक्व अभिनय से जहां दर्शक लोट पोट हुए तो वहीं संजीदा भी हुए। नाटक जहां आज की अव्यवस्थित ज़िन्दगी की तुलना प्राचीन काल में भारतवर्ष के आश्रम व्यवस्था तथा गुरूकुलों की शिक्षा का आज की व्यवस्था के साथ तुलना करता है तो वहीं आज की लोकतन्त्रीय व्यवस्था की खमियों पर करारा व्यंग्य कसता है।

नाटक की कहानी तथा परिस्थितियों को स्पष्ट करने के लिए तीन अन्य कहानियों का सहारा लिया गया है। जिसमें पहली कहानी हरिशंकर परसाई की ‘भेड़ और भड़िये’, दूसरी केशव चन्द्र की ‘जामुन का पेड़’ तथा तीसरी कहानी परसाई की ही ‘वैष्णव की फिसलन’ है।

जहां भेड़ और भेड़िये में जंगल में लोकतन्त्र स्थापित करने के लिए भेड़ें अपनी सुरक्षा हेतू भोलेपने में भेड़िये को अपना प्रतिनिधि चुनती हैं तो वे पंचायत में उनके लिए अजीब कानून बना देते हैं। वह यह कि हर भेड़िये को नाश्ते में भेड़ का एक मुलायम बच्चा दिया जाए, दोपहर के भोजन में पूरी भेड़ तथा शाम को आधी भेड़ दी जाए।

इस तरह भेड़ें अपना प्रतिनिधि भेड़िये को चुनकर पछता जाती हैं, वहीं जामुन के पेड़ एक बेचारा कवि कलाकार तन्त्र की संवेदहीनता और लापरवाही की वजह से अपनी जान गवां जाता है, तो तीसरी कहानी में एक वैष्णव अपना धन्दा चमकाने के लिए भगवान का ही इस्तेमाल कर जाता है। यह कहकर कि मेरी आत्मा की आवाज़ ही भगवान की आवाज़ है जबकि यह न उसकी आत्मा की आवाज़ होती है और न ही किसी भगवान की बल्कि उसके शैतानी दिमाग से उपजा हुआ एक धृष्ट उपाय भर होता है जिससे वह अपनी धन लोलुपता और धन वासना शान्त करना चाहता है।

पार्ष्व धवनि संचालन परमानन्द का रहा जबकि वस्त्र परिकल्पना मीनाक्षी की तथा आलोक व्यवस्था रेवत राम विक्की की रही। मंच पार्ष्व में पायल, आंचल, वेद प्रकाश व जीवानन्द ने अपनी भूमिकाएं निभाई। नाटक के समापन पर जमोट गांव से ही सम्बन्ध रखन वाले सेवा निवृत  डी पी ई ओ नरेद्र ने उपस्थित दर्शकों को संबोधित किया और ऐक्टिव मोनाल के कलाकारों की इस नाट्य प्रस्तुति को सराहा और वहां मंचन करने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया।

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