हिमाचल किसान सभा ने किशोरों व युवाओं की ज़िंदगी बचाने हेतु जानलेवा चिट्टा नशे के खिलाफ शुरू किया जन अभियान

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सुरभि न्यूज़

प्रताप अरनोट, जोगिंदर नगर : 28 मार्च

हिमाचल किसान सभा की जोगिंदर नगर इकाई ने चिट्टा एवं अन्य जानलेवा नशों से युवाओं और किशोरों की जान बचाने के लिए जन अभियान शुरू कर दिया है। हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष एवं चिट्टा विरोधी अभियान के जोगिंदर नगर के संयोजक कुशाल भारद्वाज ने अलग अलग स्थानों पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस अभियान के तहत किसान सभा की टीमें हर दिन अलग-अलग गांवों का दौरा कर गाँव व पंचायत स्तर के अधिवेशन आयोजित कर आम जनता को इस नशे के विरुद्ध एकजुट होने, जानलेवा नशे के तस्करों व सौदागरों तथा उनको शह देने वाले राजनेताओं को अलग थलग करने के लिए जागरूक करेंगी। उन्होंने कहा कि वे अपने जिला परिषद वार्ड की सभी पंचायतों सहित पूरे जोगिंदर नगर की पंचायतों और गांवों मे किसान सभा के माध्यम से इस अभियान को चलाएँगे तथा सभी महिला मंडलों व अन्य जागरूक लोगों से जो ईमानदारी से नशे की विरुद्ध लड़ना चाहते हैं को भी एकजुट करेंगे।

उन्होंने कहा कि यदि अभी भी लोग जागरूक होकर इस नशे को रोकने के लिए एकजुट नहीं हुए तो कई घरों के चिराग बुझ जाएँगे। पिछले कुछ वर्षों में मंडी जिला सहित पूरे प्रदेश में चिट्टे से असंख्य मौतें हो चुकी हैं। जोगिंदर नगर व द्रंग विधान सभा क्षेत्र भी पूरी तरह इसकी चपेट में हैं तथा इस नशे से कई किशोरों व युवाओं की जान जा चुकी है। कई लोग इस नशे के बढ़ने के लिए बच्चों के माता पिता को दोषी ठहराते हैं, जबकि जो असली दोषी हैं उनके खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते हैं। असल में नशे के फैलाव के लिए असली ज़िम्मेवार तो वे राजनेता हैं जो चुनावों के दौरान घर-घर नशा परोसते हैं, युवाओं को नशे की लत लगवाते हैं, नशे के सौदागरों को अपने साथ घुमाते हैं और फिर नशे के खिलाफ भाषण झाड़ते हैं।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश व कई अन्य राज्यों में आसानी से मिलने वाले इस पदार्थ को वैसे तो हेरोईन कहा जाता है लेकिन स्थानीय भाषा में इसे चिट्टा कहते हैं। सफेद रंग के पाउडर सा दिखने वाला ये नशा एक तरह का सिंथेटिक ड्रग्स है। हेरोइन के साथ कुछ केमिकल्स मिलाकर ये ड्रग्स तैयार किया जाता है। चिट्टा हेरोइन और एलएसडी का एक खास मिश्रण होता है।

यह एक ऐसा नशा है कि इंसान 2-3 बार लेगा तो उसको लत लग जाती है। इसके न मिलने पर इंसान की हालत बुरी हो जाती है। इससे बचने के लिए इंसान फिर ड्रग लेता है। ऐसी कंडीशन होती है कि इस नशे में इंसान कोई भी अपराध कर सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के आदी चिट्टा के शौकीन हो गए हैं। और यही चिट्टा कई जानें ले रहा है। सफ़ेद दिखने वाला पाउडर तथा सोने से भी मंहगा बिकने वाला ये नशा चिट्टा कहलाता है। नशे के सौदागरों के लिए यह पैसे कमाने का सबसे आसान धंधा बन गया है। हाल ही में हिमाचल के अलग-अलग जगहों से गिरफ़्तार हुए नशे के सौदागरों से ये बात सामने आई है कि कैसे वे युवाओं और बच्चों को अपने जाल में फंसाते हैं। जो नशा करते हैं, वही इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हें इतना पैसा घर से नहीं मिलता तो वे इसका बिज़नेस करने लगते हैं। ताकि खुद का काम भी चल जाए और लोगों से थोड़ा पैसा भी मिल जाए। बढ़ती बेरोज़गारी और युवाओं में तेजी से बढ़ती कुंठा इस नशे का फैलाव का एक बड़ा फ़ैक्टर है।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि जानलेवा नशे का फैलाव इसके तस्करों का सोशल बहिष्कार करने से नहीं रुकेगा, क्योंकि जिनको इसकी लत लगी है वे तो इसे खरीदेंगे ही। इसके लिए राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है। सोशल बहिष्कार करना हो तो सत्ता पक्ष व विपक्ष के उन राजनेताओं का किया जाना चाहिए जो तस्करों व जानलेवा नशे के सौदागरों को अपने साथ घुमाते हैं और उनके पैसे से अपने कार्यक्रम करवाते हैं।

उन्होंने मांग की कि प्रतिबंधित नशे के तस्करों और सौदागरों को कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। आज इस बात की भी जरूरत है कि हर जिला में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर खोले जाने चाहिए। जिन माता पिता को समय रहते पता चल जाता है कि उनके बच्चे को इस नशे की लत लग गई है, वे इसे छुपाने के बजाए उजागर करें और बच्चे की इस लत को छुड़ाने के लिए दूसरों की मदद लें। बच्चे की इस कमजोरी को छुपा कर वे स्वयं ही अपने बच्चे को मौत की तरफ धकेलते हैं। इस लिए समय रहते वे आसपास के लोगों की मदद लें। बढ़ती बेरोजगारी का हल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तुरंत प्रभावी कदम उठाए, ताकि युवाओं मे बढ़ती कुंठा व हताशा को रोका जा सके।

किसान नेता तथा चिट्टा रोको अभियान के संयोजक कुशाल भारद्वाज ने आह्वान किया कि सभी लोग किसान सभा के इस अभियान में हमारा साथ दें। इस अभियान के तहत हम अलग-अलग गांवों के जनता से जुड़े मुद्दे भी उठाएंगे।

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