कुल्लू के ढालपुर में याद किया गया अहिल्या बाई का योगदान, भाजपा ने आयोजित की संगोष्ठी

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सुरभि न्यूज़, कुल्लू : जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के देव सदन में जिला कुल्लू भाजपा के द्वारा मध्य प्रदेश के मालवा की पूर्व में रही महारानी अहिल्याबाई होलकर की याद में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में पूर्व मंत्री एवं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष गोविंद सिंह ठाकुर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अजय राणा, जिला कुल्लू भाजपा अध्यक्ष अमित सूद, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा धनेश्वरी ठाकुर, जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भीम सेन शर्मा, कुल्लू से 2022 के प्रत्याशी नरोतम ठाकुर, प्रदेश महिला मोर्चा सचिव मनीषा सूद,बर्षा ठाकुर, प्रदेश,पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष चमन कपूर, कार्यकारिणी सदस्य अर्चना ठाकुर,सुनीता कटोच, विमला ठाकुर, जिला कुल्लू भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष कमलेश शर्मा, जिला भाजपा प्रवक्ता रुक्मणि जोशी, जिला महामंत्री अमर ठाकुर सहित बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यशाला में स्वर्गीय अहिल्याबाई होलकर के जीवन को लेकर भी चर्चा की गई कार्यक्रम में उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि अहिल्याबाई की शादी 8 साल की उम्र में खांडेराव होलकर से हुई। लेकिन अहिल्या पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब 1754 में उनके पति खांडेराव की मृत्यु हो गई और बाद में 1766 में मालवा के शासक और अहिल्या के ससुर मल्हार राव होलकर भी चल बसे। इतना ही नहीं उन्होंने अपने पुत्र मालेराव भी शीघ्र ही खो दिया। जब मालवा की गद्दी बिना शासक के थी। तब अहिल्याबाई ने शासन की बागडोर अपने हाथों में ली।

गोविंद ठाकुर ने बताया कि अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक मालवा राज्य की बागडोर संभाली। राजगद्दी संभालते हुए महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने आसपास के राज्यों में यह सूचना पहुंचा दी और उनके सेनापति तथा पेशवा बाजीराव ने उनकी सहायता की। अपने शासन काल में उन्होंने इंदौर को एक व्यवस्थित और सुंदर नगर में परिवर्तित किया। उन्होंने बिना युद्ध के प्रशासनिक क्षमता, न्याय व्यवस्था और परोपकारी कार्यों से शासन चलाया। साथ ही हर धर्म, जाति और समुदाय के साथ समान न्याय और सम्मान का व्यवहार किया।

वही, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अजय राणा ने बताया कि अहिल्या बाई ने एक महिला होकर उस दौर में शासन चलाया। जब स्त्रियों को राजनीतिक भागीदारी का अधिकार भी नहीं था। अपनी बुद्धिमत्ता, करुणा और नेतृत्व क्षमता से उन्होंने नारी सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण पेश किया। अहिल्याबाई ने राज्य को मजबूत करने के लिए अपने नेतृत्व में महिला सेना की स्थापना की। अहिल्याबाई ने स्त्रियों को उनका उचित स्थान दिया और अहिल्या ने लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई को विस्तार देने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होलकर ने काशी, गया, सोमनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, बद्रीनाथ, केदारनाथ, अयोध्या, उज्जैन जैसे कई धार्मिक स्थलों पर मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। काशी का विश्वनाथ मंदिर दोबारा बनवाया, जिसे मुगलों ने ध्वस्त कर दिया था। वह हर साल गरीबों, ब्राह्मणों, पुजारियों और जरूरतमंदों को दान दिया करती थीं। आज अहिल्याबाई को भारतीय इतिहास में एक आदर्श नारी और महान शासक के रूप में याद किया जाता है।

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