सराज प्राकृतिक आपदा का चौथा दिन : बादल फटने और फ्लैश फ्लड से तबाही, 80 हजार की आबादी के सामने खाद्यान्न संकट

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सुरभि न्यूज़
थुनाग / मंडी

मंडी जिले के सराज क्षेत्र में बादल फटने और फ्लैश फ्लड ने चौथे दिन भी भयंकर तबाही का मंजर प्रस्तुत किया है। बाखलीखड्ड और सहायक नालों में आए सैलाब ने थुनाग, देजी पखरैर, जंजैहली, चिऊणी जरोल, लंबाथाच, बूंग रैलचौक, ढीम कटारू और संगललाड़ा जैसे क्षेत्रों में 400 से अधिक मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सैकड़ों गौशालाएं नष्ट हुईं और मवेशी बह गए। लगभग 80 हजार की आबादी अब खाद्यान्न संकट का सामना कर रही है। बिजली, पानी और दूरसंचार सेवाएं ठप होने से लोग एक किलोमीटर की दूरी पर भी संपर्क नहीं कर पा रहे। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में लोग मलबे में अपनों को खोजते नजर आ रहे हैं, जो इस त्रासदी की भयावहता को दर्शाता है।

थुनाग उपमंडल में 46 से अधिक लोग लापता हैं, और 8 से ज्यादा की मृत्यु की खबर है। बाखली और अन्य पुलों सहित कई सड़कें फ्लैश फ्लड में बह गईं, जिससे गांवों का संपर्क टूट गया। बादल फटने से अचानक आए सैलाब ने दुकानों और गोदामों को नष्ट कर दिया, जिससे राशन, दवाइयों और बुनियादी वस्तुओं की भारी कमी हो गई। स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने से घायलों का इलाज मुश्किल हो रहा है।

प्रभावित परिवार मलबे में अपने परिजनों और सामान को खोज रहे हैं, लेकिन बारिश और भूस्खलन ने इस कार्य को जोखिम भरा बना दिया है। बगस्याड़ क्षेत्र में कई घर और सेब के बगीचे पूरी तरह नष्ट हो गए, जिससे किसानों और बागवानों की आजीविका छिन गई।

प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू किए हैं, लेकिन क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे और दुर्गम इलाकों ने इन प्रयासों को जटिल बना दिया है। भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए राशन और दवाइयां पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह 80 हजार लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नाकाफी है।

थुनाग में आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने की मांग की गई है, लेकिन संचार सेवाओं के अभाव में समन्वय चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि सेना की पूर्ण तैनाती के बिना खाद्यान्न संकट से निपटना और जनजीवन बहाल करना असंभव है। सेना की विशेषज्ञता से त्वरित बचाव, अस्थायी पुलों का निर्माण और आपातकालीन आपूर्ति संभव हो सकती है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत पैकेज की घोषणा की, जिसमें क्षतिग्रस्त मकानों का पुनर्निर्माण और तत्काल सहायता शामिल है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने उनकी यात्रा को दिखावटी करार देते हुए जमीन पर समस्याओं को सुनने की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने त्वरित राहत और सेना की तैनाती की मांग की। नागरिकों से नदी किनारों और जर्जर इमारतों से दूर रहने की अपील की गई है।

हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण ने सराज को और जोखिम में डाल दिया है। सरकार को दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन योजना पर ध्यान देना होगा, जिसमें खाद्यान्न भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना शामिल है। सोशल मीडिया पर लोग सेना की तैनाती और पारदर्शी राहत वितरण की मांग कर रहे हैं। सराज में इस तबाही ने यह साबित कर दिया कि सेना की मदद के बिना हजारों बेघर लोगों और खाद्यान्न संकट से निपटना बेहद कठिन है।

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