सुरभि न्यूज़
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि हिमाचल प्रदेश में बेतहाशा निर्माण, सड़कों का चौड़ीकरण, जलविद्युत परियोजनाएं और जंगलों की कटाई जैसे काम अगर यूँ ही चलते रहे, तो राज्य एक दिन देश के नक्शे से गायब हो सकता है। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को निर्देश दिया है कि वे इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाएं और उसे पेश करें।
एक होटल कंपनी की याचिका खारिज करने के बाद कोर्ट ने अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इस विषय पर स्वतः संज्ञान (suo motu) लेते हुए एक जनहित याचिका शुरू की, जिसमें हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संकट पर ध्यान दिया जाएगा।
कोर्ट ने कहा, “हिमाचल प्रदेश की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में यहाँ गंभीर पर्यावरणीय असंतुलन और प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस साल भी सैकड़ों लोग बाढ़ और भूस्खलन में मारे गए और हजारों संपत्तियां नष्ट हो गईं। ऐसा लगता है कि प्रकृति राज्य में हो रही गतिविधियों से नाराज़ हो गई है।”
लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि इसके लिए केवल प्रकृति को दोष देना गलत है — असली जिम्मेदार इंसान हैं।
कोर्ट ने जोर देकर कहा कि अनियंत्रित निर्माण कार्य, सड़कों का विस्तार, जलविद्युत परियोजनाएं और पेड़ों की कटाई इस संकट के मुख्य कारण हैं।