सफलता की कहानी-बने पुलिस भर्ती के टॉपर
सुरभि न्यूज़
कुल्लू
छोटे से गांव से जमा दो की पढ़ाई करने वाले मुनीष, सुभाष और भरत कुमार ने कभी नहीं सोचा था कि वे न केवल पुलिस कान्सटेबल बनेंगे, बल्कि जिलाभर में पहले दो टॉप स्थान भी हासिल करेंगे। नग्गर विकास खण्ड के सेऊबाग के रहने वाले इन तीनों ने एक ही स्कूल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला काइस से जमा दो की परीक्षा उतीर्ण की। कॉलेज की पढ़ाई कुल्लू से की और अब वर्दी में नजर आएंगे। इस उपलब्धि के लिये जिला प्रशासन की आरे से खण्ड विकास अधिकारी ओशीन शर्मा ने इन तीनों को ज्ञान केन्द्र परिसर में सम्मानित किया।जिलाभर में पुलिस कान्सटेबल में टॉप करने वाले सेऊबाग के मुनीष कुमार का कहना है कि वह कभी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते यदि गांव में ज्ञान केन्द्र न होता। वह एक साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। इनके माता-पिता कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है और न ही पारिवारिक व आस-पास का माहौल ऐसा रहा है जहां वे जीवन में कुछ करने के लिये प्रेरित हो पाते। मुनीश पिछले जनवरी माह से लगातार ज्ञान केन्द्र में नियमित तौर पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। उसकी इतनी अच्छी आर्थिक स्थिति नहीं थी कि वह प्रतियोगिता की तैयारी के लिये किसी शहर में जा पाता। मुनीश का कहना है कि ज्ञान केन्द्र में आकर उसे न केवल हर प्रकार की पुस्तकें पढ़ने को मिली, बल्कि जीवन में कुछ बनने की प्रेरणा भी मिली। वह हर रोज तीन से चार घण्टे अध्ययन करता है यह सोचकर कि अभी मंजिल और भी है।
कान्सटेबल भर्ती में जिला में दूसरे स्थान पर रहे काईस के सुभाष ठाकुर के लिये भी ज्ञान केन्द्र संजीवनी बनकर उभरा। उनका कहना है कि गाहर पंचायत का यह खूबसूरत ज्ञान केन्द्र पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ज्ञान केन्द्र बहुत खूबसूरती के साथ स्थापित किया गया है और सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं इसमें उपलब्ध हैं। वह भी नियमित तौर पर ज्ञान केन्द्र में अध्ययन के लिये पिछले आठ महीनों से आ रहे हैं। सुभाष का मानना है कि जुनून और दृढ़ इच्छा शक्ति व्यक्ति को किसी भी मुकाम तक ले जा सकती है। ज्ञान केन्द्र का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि युवा जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं, वहीं अनेक प्रकार के व्यसनों से भी बचते हैं। सुभाष मानते हैं कि खेती-बाड़ी करना बेशक उत्तम व्यवसाय है, लेकिन पूरा परिवार इसपर निर्भर नहीं रह सकता। कभी फसल अच्छी नहीं होती, तो कभी दाम अच्छे नहीं मिलते। बिचौलियों से सुभाष परेशान दिखता है जो बिना कुछ मेहनत करे आमदनी का एक बड़ा हिस्सा निगल जाते हैं। वह अपनी सफलता की इस यात्रा को जारी रखकर सिविल सेवाओं में जाने का इच्छुक है ताकि वह किसानों व बागवानों की समस्याओं को हल करने में सक्षम बन सके। सेऊबाग से ही संबंध रखने वाले भरत कुमार ने भी कान्सटेबल की परीक्षा अव्वल दर्जे में पास कर अपने माता-पिता का सपना साकार किया है। भरत कुमार को भी यही ज्ञान केन्द्र वरदान बना है। जिला में बनने वाले पहले 10 अटल ज्ञान केन्द्रों के साथ ही गाहर ग्राम पंचायत के प्रधान रोहित वत्स धामी ने अपनी पंचायत में इसकी स्थापना करके आशुतोष गर्ग से उद्घाटन करवाया था। वह कहते हैं कि इस ज्ञान केन्द्र में 10 से 15 विद्यार्थी नियमित तौर पर अध्ययन के लिये आते हैं और कभी कभार यह पूरा भर जाता है। ज्ञान केन्द्र में प्रचुर मात्रा में पुस्तकें उपलब्ध हैं। गौर रहे कि जिला में ज्ञान केन्द्रों की अवधारणा युवा डीसी आशुतोष गर्ग के दिमाग की उपज है जिन्होंने पिछले साल स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से प्रीणी में अटल ज्ञान केन्द्र यानि पंचायतों में पुस्तकालय का शुभारंभ करवाया था। आज जिला की 30 ग्राम पंचायतों में अटल ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है और गांव के बच्चों को घर द्वार पर अपनी परीक्षाओं की तैयारी करने की सुविधा मिली है। इस प्रकार के ज्ञान केन्द्र चरणबद्ध ढंग से जिला की सभी 235 ग्राम पंचायतों में खोले जाएंगे और अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये बहुत बड़े सुविधा केन्द्र बनेंगे।