सुरभि न्यूज़
मंडी, 13 जून
हिमाचल किसान सभा की मंडी जिला कमेटी की बैठक किसान सभा के जिला कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक में कुशाल भारद्वाज, रामजी दास, जोगिंदर वालिया, महेंद्र राणा, परस राम, हम राज, जगमेल ठाकुर, सुरेंद्र सेन, प्रेम चौधरी, नंद लाल वर्मा, रविंदर कुमार, किशन सिंह चौहान, मोहन सरवाल, नरेश धरवाल, बलदेव चौधरी, दीप चौधरी आदि भी शामिल रहे।
जिला कमेटी ने प्रदेश में किसानों बेदखली रोकने, जमीन व मकानों का मालिकाना हक देने, 5 बीघा तक जमीन को मुफ्त में नियमित करने, प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के और किसान सभा की मांग के आधार पर भूमि अधिग्रहण का मुआवजा देने के लिए फैक्टर 2 लागू करने, टमाटर का समर्थन मूल्य देने, केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बंद की गई किसानों की सब्सिडियां बहाल करने मांग की है। इसके अलावा बस किराया वृद्धि और रसोई गैस के दामों में की गई वृद्धि वापस लेने, जिला के विभिन्न अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के रिक्त पदों को तुरंत भरने, पेयजल संकट से जूझ रहे गांवों में पेयजल उपलब्ध करवाने, बसों की कमी दूर करने और खस्ताहाल सड़कों को सुधारने की मांग भी की गई। कून का तर में ट्रैफिक ब्रिज का निर्माण कार्य जल्दी पूरा करने की भी मांग की गई।
जिला कमेटी बैठक को संबोधित करते हुए हिमाचल किसान सभा के मंडी जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार और प्रदेश की काँग्रेस सरकार जनविरोधी नव उदारवादी नीतियाँ लागू कर रही हैं, जिस कारण बेरोजगारी, महंगाई व भूखमरी बढ़ रही है। आम जनता की सुविधाएं व सबसीडियां छीनी जा रही हैं। सेवाओंp0 का निजीकरण किया जा रहा है और उन पर टैक्स लगा कर महंगा किया जा रहा है। लोकतन्त्र को कमजोर किया जा रहा है और ईडी, सीबीआई, चुनाव आयोग और अन्य स्वतंत्र संस्थाओं और संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश भी इस समय गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। भाजपा और काँग्रेस सरकारों की नव उदारवादी नीतियों और केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश की वित्तीय सहायता को रोकने के चलते ऐसी स्थिति हुई है। उन्होंने कहा कि 9वें वित्तायोग द्वारा प्रदेश का स्पैशल कैटेगरी राज्य का दर्जा छीन लिया गया, जिससे प्रदेश को मिलने वाली विशेष आर्थिक सहायता बंद हो गई। इसके अलावा प्रदेश को जो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट मिलती थी उसे मोदी सरकार ने दो बार घटाकर बहुत कम कर दिया है। प्रदेश की वन भूमि का मालिक केंद्र सरकार बन बैठी है और पंजाब पुनर्गठन आयोग के तहत हिमाचल को पुरानी संपत्तियों और प्रोजैक्टों से जो हिस्सा मिलना था, उसे कोई भी प्रदेश सरकार ले नहीं पाई है और न ही किसी केंद्र सरकार ने हिमाचल का हिस्सा दिलाने में कोई कदम उठाया है। नव उदारवादी नीतियां प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही लागू करती हैं जिससे सारी सेवाएं महंगी हो रही हैं तथा बिना समुचित स्टाफ के चरमर्रा गई हैं।
उन्होंने कहा कि 5 बीघा भूमि हर किसान की नियमित की जाये। बेदखली व तालबंदी पर रोक लगाई जाये, 1980 के वन सारंक्षण कानून को बदला जाये। किसानों को नियमित जमीन देने बारे प्रदेश सरकार नीति बनाए और केंद्र सरकार हिमाचल की वन भूमि को हिमाचल के हवाले करे। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में आवश्यक सेवाएं चरमर्रा गई हैं। सड़कों की हालत खराब है, सार्वजनिक बसों की भारी कमी है, कई जगह पीने के पानी का संकट है, अस्पतालों में डॉक्टर व अन्य स्टाफ की कमी है तो वहीं कई स्कूलों में ताले लटकाए जा रहे हैं और कई स्कूल अध्यापकों की भारी कमी झेल रहे हैं। प्रदेश में जो आर्थिक संकट बढ़ा है उसके लिए वर्तमान कांग्रेस सरकार के साथ ही पिछली भाजपा व कांग्रेस सरकारें जिम्मेवार हैं। प्रदेश के आर्थिक संकट के लिए केंद्र सरकार भी सीधे तौर पर जिम्मेवार है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति, जिसके तहत युक्तिकरण के नाम पर स्कूल बंद किए जा रहे हैं को प्रदेश में लागू करने वाली कांग्रेस सरकार देश की पहली सरकार है। केंद्र सरकार के बिजली विधेयक जिसके अनुसार बिजली का निजीकरण किया जाना है और स्मार्ट मीटर लगा कर बिजली को महंगा करना को भी प्रदेश सरकार लागू कर रही है। विधान सभा के अंदर भाजपा व कांग्रेस नूरा कुश्ती करती हैं, संकट और सेवाओं की बदहाली के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाती हैं, लेकिन हकीकत में दोनों ही इन प्रतिगामी नीतियों को लागू करती हैं।
जिला सचिव रामजी दास ने बताया कि 9 जुलाई की प्रस्तावित अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन हड़ताल को किसान सभा पूरा समर्थन देते हुए किसानों की अपनी मांगों पर प्रचार अभियान चलते हुए 9 जुलाई को मंडी, जोगिंदर नगर, सरकाघाट, बालीचौकी, जंजैहली में मजदूर संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त प्रदर्शन किए जाएंगे।