सुरभि न्यूज़
चांद पुर, बिलासपुर
कल्याण कला मंच बिलासपुर की मासिक संगोष्ठी बामटा पंचायत के बधयात गांव के साकेत होमस्टे परिसर में संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के प्रधान सुरेंद्र मिन्हास ने की जबकि मंच संचालन कॉलेज की छात्रा आशा कुमारी ने बड़ी कुशलता से किया।
कला कलम संगोष्ठी की आगाज जीतराम सुमन ने नया सवेरा लेकर आता कविता सुना कर किया जबकि सुषमा खजूरिया ने वंदे मातरम जय भारती देश भक्ति पर अपने कविता सुनाई। इंजीनियर सुमन चड्ढा ने गुरु बिन ज्ञान ना आवे गुरु महिमा का गुणगान किया जबकि कुमारी पूजा ने दीपचंद राजा लोगो कुल्लू ए बया ने जो चाल्या पहाड़ी कवता सुनाई।
राजकुमार कौंडल ने कुदरत तेरा विकराल रूप देख प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा पर संवेदना ब्यक्त की जबकि राम पाल डोगरा ने सुन्हानी का सुंदर प्रसंग सुनाया। दियारा सेक्टर के कर्मवीर कंडेरा ने खिल उठे पेड़ और पौधे प्राकृतिक सौंदर्य रचना सुनाई जबकि बृजलाल लखनपाल ने मगलिया भाषा ने जकड़ी जबकि सीता देवी जैसवाल ने सोना चै लो हिमाचल अपनी रचना सुनाई। चिंता देवी भारद्वाज ने भजन खेड़ा जुलम कमाए माहौल को भक्तिमय बनाया जबकि शिवनाथ सहगल ने जीवन से भरी तेरी आंखें गीत सुना कर वह वाही लूटी।
विजय कुमारी सहगल ने उजड़ते गांव बस्ती शहर सराज में हुए विनाश संवेदना ब्यक्त की जबकि श्याम सुंदर ने बड़े अच्छे लगते हैं गीत सुनाकर मन्त्रमुग्ध किया। तेजराम तेजस की रचना खाई ले हमारी बिलासपुरी धाम बिलासपुरी धाम का स्वाद चखाया जबकि बाबूराम धीमान ने शीतल पर स्वादिष्ट था पानी निर्मल पानी से प्यास बुझाई। रविंद्र कुमार शर्मा ने बदल गया जमाना तथा राकेश मिन्हास ने शंकर मेरा प्यार मां मुझे मूरत ला दे अपनी रचना सुनाई। गायत्री शर्मा ने यह वक्त भी गुजर जाएगा जबकि नरेंद्र शर्मा जी ने आज जाने की जिद ना करो रचना सुना कर सोचने पर मजबूर कर दिया।
बिना वर्धन ने ऐसा मीठा बोलना चाहिदा कविता सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया। लेहड़ा से पधारे जगतपाल शर्मा ने योग के लाभों का वर्णन करते हुए वृक्षासन और उसके फायदे बताएं। मंच संचालन कर रही आशा कुमारी ने प्राकृतिक विभीषिका पर फरमाया नन्ही नन्ही आवाजों से गूंजता सराज क्या कहता होगा सराज गहरी संवेदना ब्यक्त की जबकि प्रबंधक चंद्रशेखर पंत ने क्यों कौन देता है यह हवाएं पर्यावरण विचार साँझा किए। मंच अध्यक्ष सुरेंद्र मिन्हास ने गुरु पूर्णिमा पर गुरु नाम है सबसे न्यारा गुरु है मेरा सबसे प्यारा सुना कर श्रोताओं को भक्ति रस में बांध दिया। अंत में सरदार अनूप सिंह मस्ताना ने अपनी रचना मे कुछ लोग हैं जो समाज को कुछ देते हैं पर समाज से कुछ लेते नहीं समाज के प्रति सजग किया जबकि विजय कुमारी सहगल ने सभी को धन्यवाद दिया।