जवाहरलाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय हरिपुर मनाली में हिंदी विभाग द्वारा 23 – 24 जून को द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का होगा आयोजन

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सुरभि न्यूज़

कुल्लू

जवाहरलाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय हरिपुर मनाली में हिंदी विभाग द्वारा आगामी माह के अंतिम सप्ताह में 23 – 24 जून को एक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी ICSSR द्वारा प्रायोजित है। इस संगोष्ठी का विषय – गांधीमार्ग: बहुआयामी, बहुविश्यक दृष्टिकोण(सत्य के प्रयोग और हिंदस्वराज) पर केंद्रित होगी।

संगोष्ठी पर विस्तार से बात करते हुए प्राचार्य डॉ मनदीप शर्मा ने बताया कि इस संगोष्ठी में विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से विद्यार्थी भाग लेंगे। हालांकि इस संगोष्ठी में प्राध्यापकों, शोधार्थियों की भी भागीदारी होगी लेकिन संगोष्ठी को विद्यार्थी केंद्रित रखने हेतु कुल्लू, सैंज, पनारसा, बंजार, गाड़ा गुशैणी, थाची और ढलियारा कॉलेज के प्राचार्यों क्रमशः डॉ सुजाता, प्रो राजेश कुमार सिंह, डॉ शेफाली, डॉ जोगिंदर ठाकुर, प्रो दीप कुमार, प्रो सनी नेगी, डॉ अंजू चौहान और मेजबान कालेज के प्राचार्य डॉ मनदीप शर्मा और संयोजक डॉ उरसेम लता द्वारा अलग-अलग समय में ऑनलाइन माध्यम से बैठक के बाद पूरी रूपरेखा तैयार की गई है और संगोष्ठी पूर्व विद्यार्थियों को दोनो पुस्तकों को पढ़ने के अतिरिक्त गांधी पर बने वृतचित्रों, फिल्मों के प्रदर्शनों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।

यह संगोष्ठी विद्यार्थियों को पठन-पाठन, लेखन, शोध की दिशा में रुचि पैदा करने व एक वैज्ञानिक तथा तार्किक दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित करवाई जा रही है।

संगोष्ठी में देश भर के विश्व विद्यालयों व शिक्षा से जुड़े अन्य विभागों से स्रोतविद जुड़ेंगे जिनमे बंजार से सेवानिवृत प्रोफेसर वरयाम सिंह, भाषा एवम संस्कृति विभाग के सचिव श्री राकेश कंवर, जेएनयू से सेवानिवृत प्रो आनंदकुमार, अंबेडकर विश्विद्यालय से डीन डॉ संतोष के सिंह, डॉ सदन झा सेंटर फॉर सोशल जस्टिस गुजरात, प्रो अभय प्रसाद सिंह, पीजीडीएवी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ हिमांशु शेखर निदेशक, केबिनेट सचिवालय,दिल्ली, प्राचार्य सैंज कॉलेज प्रो राजेश कुमार सिंह, मेजबान कालेज से डॉ रोमेश चंद्र स्रोतविदों के रूप में भाग लेंगे।

संगोष्ठी प्रतिदिन तीन सत्रों में विभाजित रहेगी। जिसके मुख्य आकर्षण होंगे गांधी के सम्पूर्ण जीवन पर फोटो प्रदर्शनी, सांस्कृतिक संध्या, विद्यार्थियों के सवालों पर स्रोतविदों के साथ खुला संवाद। सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य इस संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु प्रयासरत हैं।

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