केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित कर 10 हजार करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदेश को प्रदान करे-कुशाल भारद्वाज

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो 

मंडी 

किसान सभा की मंडी जिला कमेटी की बैठक मंडी में सम्पन्न हुई जिसमें मंडी जिला सहित प्रदेश भर में हुई भारी क्षति पर चिंता प्रकट की गई तथा आपदा के दौरान अपनी जान खोने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की गई। किसान सभा की इस बैठक में राज्य सचिव होतंम सोंखला भी उपस्थित रहे। बैठक में कुशाल भारद्वाज, रामजी दास, जोगिन्दर वालिया, परस राम, हेम राज, केहर सिंह, नरेश धरवाल, बिहारी लाल तथा सुरेन्द्र उपस्थित रहे।

हिमाचल किसान सभा की मंडी जिला कमेटी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि बरसात में आई आपदा से प्रभावित परिवारों का जो आँगन, बरामदा, खेत-खलिहान व घरों गौशालाओं में जो बड़ी-बड़ी दरारें आई हैं उस नुकसान को कई जगह राजस्व अधियारियों ने रोजनामचे में दर्ज नहीं किया है।

यह स्वाभाविक है कि नुकसान को रोजनामचे में दर्ज ही नहीं किया है तो ऐसे प्रभावितों को उस नुकसान का कोई मुआवजा भी नहीं मिलेगा। अतः राजस्व विभाग को निर्देश दिये जाएँ कि हर तरह के नुकसान को रोजनामचे में दर्ज किया जाये तथा विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाये।

इस अवसर पर राज्य सचिव होतम सोंखला ने कहा कि किसान सभा की मांग है कि प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन दी जाये तथा घर के बदले घर दिया जाये। राज्य सरकार को चाहिए कि राहत, पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्य जल्दी शुरू करे तथा हर प्रभावित को उचित मुआवजा दे। इसके अलावा केंद्र सरकार इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर 10 हजार करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता प्रदेश को दे।

किसान सभा के मंडी जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने कहा कि ब्यास नदी पर कून का तर के पास कोटली व जोगिन्दर नगर को जोड़ने वाला पल 9 जुलाई को बह गया है, लेकिन सरकार ने नए पुल के निर्माण बारे अभी तक कुछ नहीं किया है और न ही वैली ब्रिज यहाँ पर बनवाया है। लगभग 3 महीने वाहनों की आवजाही पूरी तरह से बंद है। हजारों लोगों को परेशानी झेलनी पड रही है। अतः जल्दी जी यहाँ एक वैली ब्रिज स्थापित किया जाये। इसी तरह मंडी शहर से पड्डेल को जाने वाला पुल, पंडोह का पुल व आउट का पुल भी उसी दिन बह गए हैं। इनका भी जल्दी पुनर्निर्माण किया जाये।

उन्होंने कहा कि मंडी जिला में कई जगह प्रभावितों को अभी फौरी राहत भी नहीं मिली है और मुआवजे से कई लोग इसलिए वंचित रह जाएँगे क्योंकि उनके नुकसान को पटवारियों के रोजनामचे में दर्ज ही नहीं किया गया है। इसलिए सरकार इस बारे प्रभावी कदम उठाए। राज्य सरकार जितना मर्जी बोले कि वह प्रभावितों को जमीन देगी लेकिन प्रभावितों के आस-पास वन भूमि है जिसे राज्य सरकार दे ही नहीं सकती है।

अतः किसान सभा की मांग है इसके लिए बाधा बने 1980 के वन संरक्षण कानून में या तो संशोधन किया जाये अन्यथा इस कानून को ही रद्द किया जाये। तभी भूमिहीनों व प्रभावितों को जमीन दी जा सकती है क्योंकि सारी वन भूमि केंद्र सरकार के अधीन हैं। उन्होंने कहा कि आगामी 3, 4, 5 नवंबर को मंडी में किसानों व खेती बाड़ी से जुड़े विषयों बारे 3 दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार भी आयोजित किया जायेगा, जिसमें किसान सभा के नेताओं के अलावा कृषि व बागवानी के एक्सपर्ट और वैज्ञानिक भी विभिन्न विषयों पर किसान कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। इसके लिए एक स्मारिका भी प्रकाशित की जा रही है।

किसान सभा ने आपदा से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ कर्मचारियों व सुविधाओं के अभाव में चरमर्रा रही सड़क, पानी, स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं के मुद्दे पर व्यापक अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा दिसंबर तक पूरे जिला में किसान सभा में 25 हजार नए सदस्य भर्ती किए जाएँगे तथा इकाई स्तर से लेकर खण्ड स्तर के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएँगे। जिला सचिव रामजी दास ने बताया कि उपरोक्त अभियान को सफल बनाने के लिए 12 अक्तूबर से पहले सभी खण्ड कमेटियों की बैठकें आयोजित की जाएंगी।

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