सुरभि न्यूज़
विजयराज उपाध्याय, बिलासपुर
सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी ग्रामीण कृषि बैंक द्वारा किसानों से कर्ज वसूली के लिए उनकी जमीनें कुर्क करने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि जिस बैंक की स्थापना किसानों के उत्थान के लिए की गई है, वही उनकी जमीनें कुर्क करके उनसे रोजी-रोटी का सहारा छीन रहा है। यहां तक कि बेसहारा महिलाओं को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री खुद को किसानों-मजदूरों का हितैषी कहते हैं। बेहतर होगा कि वह मामले में हस्तक्षेप करके वन टाइम सेटलमेंट करवाकर किसानों को राहत पहंुचाएं।
शुक्रवार को कई किसानों ने बिलासपुर में त्रिलोक जमवाल से मुलाकात कर उन्हें अपनी जमीन की कुर्की के आदेेशों से अवगत करवाया। किसानों ने कहा कि उन्होंने खेतीबाड़ी के विस्तार के उद्देश्य से कोरोना महामारी फैलने से पहले हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी ग्रामीण कृषि बैंक से लोन लिया था। हालांकि वे उसकी किश्तें भी नियमित रूप से देते रहे, लेकिन कोरोना ने उनके खेतीबाड़ी के व्यवसाय को भी बुरी तरह से प्रभावित किया। उन्होंने बैंक से जितना ऋण लिया था, अब तक वे उससे अधिक ब्याज की अदायगी कर चुके हैं। इसके बावजूद बैंक की ओर से ऋण वसूली के लिए उनकी जमीनें कुर्क करने के नोटिस जारी कर दिए गए हैं। यदि जमीनें ही नहीं रहेंगी, तो वे खेतीबाड़ी कहां करेंगे। इससे खेतीबाड़ी से चार पैसे कमाना तो दूर, उनके परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
त्रिलोक जमवाल ने बैंक द्वारा किसानों की जमीनें कुर्क करने की निंदा करते हुए कहा कि यह सरासर गलत है। खेतों में दिन भर मेहनत करने के बावजूद किसान पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। बेसहारा मवेशी और जंगली जानवर उनके खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहंुचाते हैं। ऐसे में बैंक द्वारा उनकी जमीनें कुर्क करना उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा ही है। गरीब किसानों के साथ यह सरासर अन्याय है। जब जमीन ही नहीं रहेगी तो वे खेतीबाड़ी क्या आसमान पर करेंगे। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश सरकार उनकी इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने किसानों को आश्वस्त दिया कि यह मसला प्रदेश सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से उठाया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि ग्रामीण कृषि बैंक को किसानों की जमीनें कुर्क करने से तुरंत प्रभाव से रोका जाए। साथ ही वन टाइम सेटलमेंट करके किसानों को राहत प्रदान की जाए, ताकि वे चिंतामुक्त होकर सुचारू तरीके से खेतीबाड़ी का काम कर सकें।