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सुरभि न्यूज़
प्रताप अरनोट, कुल्लू
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू मुख्यालय के साथ लगती खराहल घाटी की चोटी पर स्थित जिला के अधिष्ठाता बिजली महादेव के लिए लगने वाले रोपवे का विरोध फिर शुरू हो गया है। स्थानीय लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं, अब वरिष्ठ भाजपा नेता व एचपीएमसी के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह भी रोपवे के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि बिजली महादेव रोपवे किसी भी सूरत में नहीं बनेगा। कहा कि बिजली महादेव पर उनकी पूरी आस्था है और वह देव आदेश और वहां की जनता के साथ हैं, जो कि इसके विरोध में हैं।
उन्होंने यह कहा कि समझ नहीं आ रहा है कि जनप्रतिनिधि इस रोपवे को जनता के विरोध के बावजूद बनाने पर क्यों उतारू हैं? कहा कि बिजली महादेव एक आस्था का केंद्र है न कि पर्यटन स्थल। ऐसे में बिजली महादेव को केवल धार्मिक स्थल ही रहेने दिया जाना चाहिए न की इसे पर्यटन व पिकनिक स्पॉट न बनाया जाए।
राम सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि जो जनप्रतिनिधि कभी बिजली महादेव के विरोध में थे। आज वह भी समर्थन में खड़े हो कर गहन खामोशी धारण कर ली है, यह उनकी समझ से परे है। कहा कि रोपवे के लिए 206 बड़े पेड़ काटे जाने हैं और अभी तक 74 पेड़ काट दिए हैं। जिससे पर्यावरण नियमों की भी धज्जियां उड़ रही हैं। उन्होंने सवाल किया है कि रोपवे के नाम पर पर्यावरण का विनाश करके किसका विकास होने वाला है?
राम सिंह ने कहा कि रोपवे पर सैंकड़ों पेड़ों की बलि देने के साथ ही इस पर लगभग 274 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। जबकि रोपवे बनाने के बजाय अगर रामशिला- बिजली महादेव सड़क को चौड़ा करने पर 100 करोड़ भी खर्चे जाते तो निश्चित तौर पर इलाके के लोगों को भी रोजगार के अवसर पैदा होते और इलाके कभी समग्र विकास होगा। इसके साथ ही सड़क को चौड़ा करने से रोपवे के नाम पर बलि चढ़ने वाले पेड़ भी बच जाते और पर्यावरण को भी नुकसान न होगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 274 करोड़ की लागत से बनने वाले बिजली महादेव रोपवे का 5 मार्च 2025 को शिलान्यास किया है। लेकिन अब इसका विरोध बढ़ता जा रहा है। राम सिंह के विरोध में उतरने से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है। ऐसे में देखना यह होगा कि कि आगामी समय में रोपवे निर्माण के विरोध में बुलंद होते स्वर कितने तीखे होते हैं?