नया लोकतंत्र ? संपादकीय स्थान रिक्त है, जब कलम चुप हो जाए लोकतंत्र का शोकगीत
सुरभि न्यूज़ ✍️प्रियंका सौरभ, भिवानी आपातकाल के दौरान अख़बारों ने विरोध में अपना संपादकीय कॉलम ख़ाली छोड़ा था। आज औपचारिक सेंसरशिप नहीं है, लेकिन आत्म-सेन्सरशिप, भय और ‘राष्ट्रभक्ति’ के नाम पर विचारों का गला घोंटा जा रहा है। सवाल पूछना देशद्रोह बन गया है, और संपादकीय अब सत्ता के प्रवक्ताContinue Reading