सुरभि न्यूज
कुल्लू, 11 सितंबर
रंगमंच के क्षेत्र में वषों से कार्य कर रही स्थानीय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन अपनी नई नाट्य प्रस्तुति ‘कहानियों की कहानी’ का मंचन संगीत नाटक अकादमी दिल्ली के सहयोग से 12 सितम्बर को जमोट गांव तथा 13 सितम्बर को राजकीय उच्च विद्यालय भुलन्ग के प्रांगण में करने जा रही है।
संस्था के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर ने बताया कि ‘रंगमंच गांव-ंगांव, आंगन-ंआंगन’ की अवधारणा को लोकप्रिय करने के उदेश्य से इन मंचनों को गांवों के प्रांगणों में प्रयोगात्मक दृष्टि से किया जा रहा है। निकट भविष्य में इसी नाटक को कुल्लू घाटी के गांव गांव में बहुत से स्थानों पर मंचित करने की योजना है ताकि ‘रंगमंच गांव-ंगांव, आंगन-ंआंगन’ की अवधारणा को बल मिल सके।
केहर सिंह ठाकुर के अभिनय व निर्देशन में प्रस्तुत किया जाने वाला यह नाटक ‘कहानियों की कहानी’ हमारे मानव जीवन की कहानियों को पड़ाव दर पड़ाव दिखाता है। हम मनुष्य आदि काल से अपने जंगलीपने को पीछे छोड़ते हुए कैसे हम सभ्य हुए और सभ्यता दर सभ्यता अपने जीने की प्रणाली को सुधारते गए। इन्हीं चरणों में एक महत्वपूर्ण चरण था हमारे हिन्दुस्तान में आश्रम व्यवस्था में हमारे जीवन को चार अंगों में विभक्त करना। ब्रम्हचर्य आश्रम, गृहस्त आश्रम, वानप्रस्थ और बैराग्य जानना चाहता है।
इसमें हरिशंकर परसाई की दो कहानियों ‘भेड़ और भेड़िए’ तथा ‘वैष्णव की फिसलन’ का इस्तेमाल किया गया है और एक तीसरी प्रसिद्व कहानी कृष्ण चन्दर द्वारा लिखित ‘जामुन का पेड़’ का भी प्रयोग किया गया है ताकि आज का स्वार्थी मनुष्य और व्यवस्था की बिडम्बनाएं इन कहानियों की कहानी में स्पष्ट दिख सके जो हमारे जीवन जीने के तरीके को प्रतिबिम्बित करते हैं।
इन्सान अपने मौलिक जीवन को आज भौतिकवादिता की होड़ में भूल सा गया है और युवा पीड़ी में जीवन के मायनों को लेकर एक अस्पष्टता सी झलकती है। ऐसे में यह नाटक हमारे प्राचीन भारत की जीवन पद्वति की आश्रम व्यवस्था चर्चा करता है कि कैसे चार आश्रमों ब्रम्हचर्य, गृहस्त, वानप्रस्थ और वैराग्य बंटा इन्सान का जीवन कितना स्पष्ट और साधारण था।
नाट्य प्रस्तुति के विभिन्न पक्षों जैसे वस्त्र परिकल्पना, सैट, प्रौपर्टीज़, आलोक तथा पार्ष्व ध्वनि संचालन आदि में मीनाक्षी, रेवत राम विक्की, परमानन्द, वैभव, आंचल व पायल आदि कलाकार मंच पार्ष्व में अपना अपना कार्य संभाल रहे हैं।